इस कुंड में नहाने से महिलाओं की भर जाती है गोद, शिव-पार्वती के विवाह से जुड़ा है इस कुंड रहस्य
अद्भुत कुंड को ही सरस्वती कुंड के नाम से जाना जाता हैं| मान्यता हैं की इसका निर्माण विष्णु की नासिका से हुआ था| इस कुंड को लेकर मान्यता है कि कुंड में स्नान करने से संतानहीनता से मुक्ति मिल जाती है। इस कुंड का रहस्य भगवान शिव के विवाह से जुड़ा है| आइए हम आपको बताते हैं इस कुंड के रहस्य के बारे में….
हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार पर्वतराज हिमावत या हिमावन की पुत्री पार्वती थी। पार्वती को आदि शक्ति के रूप में भी जाना जाता हैं| पुराणो के अनुसार माता पार्वती ने कठिन तपस्या से भगवान शिव का वरण किया था। जिस जगह पर माता पार्वती ने साधना की उस स्थान को गौरीकुंड कहा जाता है। जो भी श्रद्धालु त्रियुगीनारायण जाते हैं वे गौरीकुंड के दर्शन जरूर करते हैं।
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पौराणिक ग्रंथो के अनुसार शिव जी ने गुप्त काशी में माता पार्वती के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा था। शिव जी के विवाह को लेकर भी कई तरह की कथाएं पुराणो, धर्म ग्रंथों में अलग-अलग प्रचलित हैं। मान्यता हैं कि भगवान शिव ने माता पार्वती से जिस ज्योति के सामने विवाह के फेरे लिए थे, वह त्रेतायुग से आजतक जल रही है। यह स्थान त्रियुगीनारायण में है तथा यही पर गौरीकुंड हैं|
कथाओं के अनुसार दोनों का विवाह त्रियुगीनारायण गांव में मंदाकिनी सोन और गंगा के मिलन स्थल पर संपन्न हुआ था। यहां शिव-पार्वती के विवाह में भगवान विष्णु ने पार्वती के भाई के रूप में सभी रीतियों का पालन किया था। जबकि ब्रह्मा इस विवाह में पुरोहित बने थे।
इसके अलावा कथाओं में उल्लेखित हैं की शिव के बारात में देव-दानव सभी आए थे| पुराणो के अनुसार विवाह से पहले सभी देवताओं ने यहां स्नान किया और इसलिए यहां तीन कुंड बने। जिन्हें रुद्र कुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्मा कुंड कहते हैं। इन तीनों कुंड का जल स्रोत सरस्वती कुंड ही हैं|