आखिर क्यों 21 साल की उम्र में ही घर परिवार का त्याग कर साध्वी बनने को मजबूर हुई ये लड़की
यूं तो हमारा भारत देश अनेक प्रकार की विविधताओं से भरा हुआ है मगर बावजूद इसके इस देश में एकता है। आपको पता होना चाहिए की प्राचीन समय से ही भारत देश को साधु-संन्यासियों का देश कहा जाता है। आप देखेंगे तो पाएंगे की इस देश में ऐसे बहुत से लोग है जो छोटी उम्र में ही अपना घर-बार सबकुछ त्यागकर साधु सन्यासी बन जाते है।
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आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहे है जिसने उस उम्र में ही तमाम तरह के सुख, भोग, विलास यहाँ तक की अपना परिवार भी त्याग दिया और मात्र 21 वर्ष की उम्र में ही सन्यासी बन गई है। आखिर ऐसी क्या वजह हो सकती है जहां जीवन के इस बेहद ऊर्जावान अवस्था में हर कोई एक से बढ़कर एक लक्ष्य पाने का सपना देखता है और उसे पूरा करने के लिए दिन राता लगा रहता है जबकि इस लड़की ने इस सब से इतर यह राह चुन ली।
यदि आपको इसके पीछे की वजह पता चलेगी तो यकीनन आपके लिए यकीन कर पाना बेहद ही मुश्किल होगी। खैर आपको बता दें की हम बात कर रहे हैं “जया किशोरी जी”। बता दें की जया जी का जन्म राजस्थान के सुजानगढ़ शहर में हुआ। ऐसा बताया जाता है की जया किशोरी ने छोटी सी उम्र में ही यह साबित कर दिया कि भगवान हमारे साथ कहीं ना कहीं किसी भी रूप में होते जरूर हैं और आज आलम ये है की सम्पूर्ण देश में जया किशोरी जी भगवान का नाम और आस्था बांट रही है।
आस्था के साथ पढ़ाई भी
आप यकीन नहीं कर सकते की जो उम्र बच्चों के पढ़ने-लिखने की होती है उस उम्र में ही जया किशोरी जी ने साध्वी बन भगवान की आस्था शुरू कर दी थी और तकरीबन सारी दुनिया को आज भगवान कृष्ण की लीलाएं सुना रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें की जया किशोरी जी बचपन से ही केवल और केवल भगवान श्रीकृष्ण जी से ही प्रेम करती है और वो हमेशा उनकी नटखट लीलाओं का गुणगान करती रहती है।
मगर सबसे खास बात तो ये है की इतना सब कुछ करने के बाद भी जया किशोरी ने समय निकालकर पढ़ाई भी कर रही है और बताया जा रहा है की उन्होने बीकॉम की डिग्री भी ले ली है। आज जया किशोरी सोशल प्लैटफ़ार्म पर भी काफी ज्यादा मशहूर हैं और हर किसी की लिए एक मिसाल बनी हुई हैं।