इस साल रामनवमी पर बन रहा है ऐसा संयोग जो भगवान राम के जन्म के समय थे
2 अप्रैल को यानि कल रामनवमी 2020 है। इस बार रामनवमी पर पुष्य नक्षत्र का संयोग बन रहा है। ज्योतिषाचार्य पंडित पुरुषोत्तम गौड़ के अनुसार रामनवमी पर इस साल पुष्य नक्षत्र का संयोग बनेगा। इस बार वही योग रहेंगे जो भगवान राम के जन्म के समय थे। बीते 10 साल में तीसरी बार यह संयोग बनेगा। इस दिन हर घर में 11 दीपक मुख्य द्वार पर प्रज्वलित करें और उनसे बचाव के लिए सभी सुरक्षात्मक पहलुओं का ध्यान रखें।
रामनवमी पर शोभायात्रा की व्यवस्था देखने वाले प्रवीण बड़े भैया के अनुसार देश में लॉक डाउन का पालन करना सबकी जिम्मेदारी है। इसलिए इस बार शोभायात्रा नहीं निकाली जाएगी। परंपरा अनुसार पूजन होगा। गौरतलब है कि सूरजपोल अनाज मंडी से रामनवमी पर शोभायात्रा करीब 40 साल से निकल रही है। चांदपोल स्थित राम मंदिर में 9 दिनों तक परंपरा अनुसार पूजन होगा। छोटी काशी के अन्य राम मंदिरों में भी संक्षिप्त आयोजन होंगे।
8 अप्रैल को हनुमान जयंती
हनुमान जयंती 8 अप्रैल को है। जौहरी बाजार, अंबाबाड़ी हनुमान जी मंदिर, काले हनुमान जी, खोले के हनुमान जी, घाट के बालाजी सहित अन्य प्राचीन मंदिरों में विधिवत पूजा-अर्चना होगी।
महाअष्टमी मनाई गई घर पर ही
इन दिनों नवरात्रि चल रहे हैं। इस बार दर्शन के लिए मंदिरों के पट तक नहीं खुल रहे हैं। लोग घरों में ही पूजन और उपवास कर रहे हैं। आमेर शिला माता मंदिर में इस बार छठ का मेला नहीं भरा। मंदिर दर्शनार्थियों के लिए बंद है, ऐसे में सेामवार को छठ की पूजा हुई, लेकिन मेला नहीं भरा। आज महाअष्टमी मनाई गई। लेकिन मंदिरों में होने वाला हवन नहीं हुआ, कन्याओं का सामूहिक भोजन भी नहीं हुआ और लोगों ने घरों में रहकर ही माता की पूजा—अर्चना की और घर की कन्याओं को ही भोजन कराया।
सभी धर्म आचार्यों ने जनता से किया आह्वान
गलता तीर्थ के महंत स्वामी अवधेशाचार्य, गोविंद देव जी मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी, पंडित पुरुषोत्तम भारती, चिंता हरण काले हनुमान जी मंदिर के महंत मोहनदास जी ने संयुक्त रूप से कह चुके हैं कि सबसे पहली प्राथमिकता घर पर रहने की है, ताकि हम सब मिलकर कोरोनावायरस से लड़ सकें। स्वामी अवधेश अचारी ने कहा कि रामनवमी पर घर पर ही रामलला का पूजन करें। शाम को देसी घी के दीपक जलाएं। महंत मनोहरदास ने कहा कि हनुमान जयंती पर घर के सभी सदस्य उचित दूरी बनाकर हनुमान चालीसा के 11 या 21 बार पाठ करें।