इस वृक्ष को छूने मात्र से खत्म हो जाती है थकान, इंद्र के श्राप के कारण उस पर नहीं लगते फल
पृथ्वी पर एक ऐसा भी वृक्ष है जिसको केवल छूने मात्र से ही व्यक्ति की सारी थकान दूर हो जाती है, लेकिन इस वृक्ष पर किसी कभी फल नहीं लगता है और ये वृक्ष औषधीय गुणों से परिपूर्ण है। हिन्दू धर्म में इससे जुड़ी कई सारी कथाएं भी प्रचलित हैं। ऐसा माना जाता है कि इन्द्र के श्राप की वजह से इस वृक्ष पर फल नहीं लगते। आइए जानते हैं कि इन्द्र ने इस वृक्ष को श्राप क्यों दिया जिसकी वजह से इस पर फल नहीं आते और इनसे जुड़ी प्रचलित कथाओं के बारे में भी।
समुंद्र मंथन में हुई थी इस वृक्ष की उत्तप्ति
पौराणिक मान्यता है कि परिजात वृक्ष की उत्पत्ति समुंद्र मंथन के द्वारा हुई थी और इन्द्र ने अपने बगीचे में इस वृक्ष को लगाया था। हरिवंश पुराण के अनुसार परिजात वृक्ष के अनोखे फूलों को पा कर सत्यभामा ने भगवान कृष्ण से जिद्द कर के परिजात वृक्ष को स्वर्ग से लाकर उनकी वाटिका में लगवाने को कहा।
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भगवान श्री कृष्ण ने नारद मुनि को परिजात वृक्ष लाने के लिए स्वर्ग लोक भेजा परन्तु वहां इन्द्र ने उनका प्रस्ताव नहीं माना । इस वजह से श्री कृष्ण भगवान नाराज हो गए और स्वर्ग लोक पर आक्रमण कर दिए और परिजात वृक्ष हासिल कर के ले आए। परिजात वृक्ष के छीन जाने की वजह से उसी क्षण इन्द्र ने श्राप दे दिया कि इस वृक्ष पर कभी भी फल नहीं आएंगे। परिजात वृक्ष के फूलों का रंग उजला होता है और ये फूल जब सुख जाते हैं तो हल्के सुनहरे रंग के नजर आने लगते हैं।
इस फूल में केवल पांच पंखुड़ियां ही होती है, ऐसा माना जाता है कि इस वृक्ष को छूने मात्र से देव नर्तकी उर्वशी की थकान मिट जाया करती थी और आज भी अगर कोई व्यक्ति इस वृक्ष को छू लेता है तो उसकी थकान भी दूर हो जाती है। कोई व्यक्ति कितना भी थका हो अगर इस वृक्ष को छू लेता है तो उसी क्षण उसकी सारी थकान दूर हो जाएगी।