निर्जला एकादशी 2020: इस दिन महिला व पुरुष ना करें ये 7 काम अन्यथा होगा नुकसान
एकादशी का व्रत करना, भगवान विष्णुजी की पूजा करना, तुलसी माता के दर्शन करना और उनका पूजन करना काफी शुभ फल देने वाला माना जाता हैं। वैसे तो पूरे साल में 24 एकादशी आती हैं लेकिन किसी-किसी साल में अधिकतम 26 एकादशी हैं लेकिन उनमें से कुछ एकादशी का महत्व अन्य एकादशी के मुकाबले ज्यादा होता हैं। उन्ही में से एक सबसे महत्वपूर्ण एकादशी होती हैं निर्जला एकादशी, आज हम आपको इससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहें हैं।
कब हैं निर्जला एकादशी
निर्जला एकादशी प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह की शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन आती हैं इस वर्ष ये 2 जून मंगलवार के दिन हैं। शास्त्रों के अनुसार अगर आप पूरे वर्ष में आने वाली एकादशी के व्रत नहीं कर सकते हैं तो आपको ये व्रत अवश्य ही करना चाहिए, शास्त्रों में ये भी बताया गया हैं कि जो भी व्यक्ति ये व्रत रखता हैं उसे पूरे वर्ष की एकादशी के व्रत का फल प्राप्त होता हैं।
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इस वर्ष निर्जला एकादशी 1 जून को दोपहर 02:58 से शुरू हो जाएगी और ये 2 जून को दोपहर 12:04 तक रहेगी, दशमी युक्त एकादशी 1 जून 2020 को हैं लेकिन इस दिन एकादशी का व्रत नहीं रखना चाहिए। एकादशी का व्रत द्वादशी युक्त एकादशी को रखना चाहिए जो 2 जून को हैं और द्वादशी युक्त एकादशी पर व्रत रखना काफी मंगलकारी होता हैं। इस एकादशी का व्रत 2 जून को सूर्योदय से प्रारंभ होकर अगले दिन सूर्योदय तक चलेगा, पंचांग के अनुसार 2 जून को सूर्योदय सुबह 05:38 पर होगा तो व्रत इस समय से ही शुरू होगा।
कौन से कार्य नहीं करने चाहिए निर्जला एकादशी पर
शास्त्रों में निर्जला एकादशी के दिन कुछ कार्यों को करना पूर्ण वर्जित माना गया हैं इस पूरे दिन भगवान का स्मरण करना चाहिए और एकादशी पर दिन और रात के समय सोना नहीं चाहिए, बल्कि पूरी रात्रि के दौरान भगवान श्री हरि का ध्यान करना चाहिए। इस दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए बल्कि सबके साथ बड़े प्रेम के साथ बात करनी चाहिए।
निर्जला एकादशी के दिन पान खाना पूर्ण वर्जित होता हैं बताया जाता हैं कि इस दिन पान के सेवन से मन में रजोगुण की प्रवति आती हैं इसके अलावा इस दिन चावल का सेवन करना पूर्ण वर्जित माना गया हैं। इस दिन चावल का सेवन करने वाला व्यक्ति पाप का भागी बनता हैं, इस दिन किसी की भी बुराई करने से बचें और अपने से बड़े लोगों का आशीर्वाद लें। इस दिन पति-पत्नी को सहवास करने से बचना चाहिए और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
इस दिन क्या करना चाहिए
इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और नित्यक्रिया से मुक्त होकर भगवान श्रीविष्णु का ध्यान करना चाहिए, श्रीविष्णु जी को मिठाई, फल, तुलसी और दूध का भोग लगाना चाहिए। उसके पश्चात अपने हाथ में जल और तुलसी के पत्ते लेकर भगवान से आपके मन में जो कामना हो वो कह दे और कहे कि मैं ये निर्जला एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा के साथ करूंगा, इसके अलावा पानी से भरे घड़े और चीनी का दान ब्राह्मण को करना चाहिए।