नवरात्रि के समय होते हैं कई सारे शुभ कार्य, फिर विवाह क्यों नहीं ?
नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी शक्ति के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा उपासना शुरू हो जाती है। नवरात्रि के पहले दिन से ही सभी तरह के शुभ कार्य होने लगते हैं। जिसमें गृह प्रवेश, नई खरीदारी, नए सौदे और नए अनुबंध करने लगते हैं। शुभ और नए काम के लिए नवरात्रि का दिन बहुत ही शुभ और फलदायक माना जाता है। लेकिन आखिर क्या वजह है कि नवरात्रि पर शादियां क्यों नहीं होती।
नवरात्रि में क्यों रोपा जाता है जौ
नवरात्रि में देवी की उपासना से जुड़ी अनेक मान्यताएं हैं, इन्हीं मान्यताओं में से एक है घर पर जौ रोपना। जौ रोपने और कलश स्थापना के साथ ही मां की नौ दिन की पूजा शुरू होती है। अब सवाल यह कि आखिर जौ ही क्यों? मान्यता है कि जब सृष्टि की शुरुआत हुई थी, तो पहली फसल जौ ही थी। वसंत ऋतु की पहली फसल जौ ही होती है। जिसे हम माताजी को अर्पित करते हैं इसलिए इसे भविष्य अन्न भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दौरान रोपे गए जौ यदि तेजी से बढ़ते हैं, तो घर में सुख-समृद्धि तेजी से बढ़ती है। लेकिन इस मान्यता के पीछे मूल भावना यही है कि देवी मां के आशीर्वाद से पूरा घर वर्ष भर धनधान्य से भरा रहे।
रात्रि काल में देवी पूजन क्यों ?
शास्त्रों में रात्रि काल में देवी पूजा का विशेष फल माना गया है-`रात्रौ देवीं च पूज्येत् , क्योंकि देवी रात्रि स्वरूपा हैं, जबकि शिव को दिन का स्वरूप माना गया है। इसीलिए नवरात्रि व्रत में रात्रि व्रत का विधान हैः- रात्रि रूपा यतो देवी दिवा रूपो महेश्वरः। रात्रि व्रतमिदं देवी सर्व पाप प्रणाशनम्।। भक्ति और श्रद्धापूर्वक माता की पूजा दिन और रात्रि में कभी भी की जा सकती है। वस्तुतः शिव और शक्ति में कोई भेद नहीं है। इतना अवश्य याद रखें कि इस समय नौ देवियों की पूजा अवश्य की जानी चाहिए।
कन्या पूजन का महत्व
कुवारी कन्याएं माता के समान ही पवित्र और पूजनीय मानी जाती हैं। हिंदू धर्म में दो वर्ष से लेकर दस वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती हैं। यही कारण है कि नवरात्रि पूजन में इसी उम्र की कन्याओं का विधिवत पूजन कर भोजन कराया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन की अर्चना से धर्म, अर्थ व काम, चार की पूजा से राज्यपद, पांच की पूजा से विद्या, छ: की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि, सात की पूजा से राज्य की, आठ की पूजा से संपदा और नौ की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि में विवाह क्यों नहीं होते
नवरात्रि पवित्र और शुद्धता से जुड़ा पर्व है, जिसमें नौ दिनों तक पूर्ण पवित्रता और सात्विकता बनाए रखते हुए देवी के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। इस दौरान शारीरिक और मानसिक शुद्धता के लिए व्रत रखे जाते हैं। इन दिनों बहुत से श्रद्धालु कपड़े धोने, शेविंग करने, बाल कटाने और पलंग या खाट पर सोने से भी गुरेज करते हैं। विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्र में व्रत करते समय बार-बार पानी पीने, दिन में सोने, तम्बाकू चबाने और स्त्री के साथ सहवास करने से व्रत खंडित हो जाता है। चूंकि विवाह जैसे आयोजन का उद्देश्य संतति के द्वारा वंश को आगे चलाना माना गया है, इसलिए इन दिनों विवाह नहीं करना चाहिए।