मोदी सरकार ने बदला ये कानून, अब 40 करोड़ लोगों को मिलेगा फायदा
लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर सत्ता में आयी मोदी सरकार 2.0 अपने कार्यों में लग गयी है जिसका असर दिखाई दे रहा है। पीएम मोदी ने काशी में वृक्षारोपण कर देश भर में वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत कर दी हैं जिसके बाद अब मोदी सरकार मजदूरों को भी तोहफा देने जा रही हैं। मोदी सरकार मजदूरों के हित में लिए गए एक फैसले को लेकर सुर्खियों में बनी हुई है। मोदी सरकार के इस फैसले से 40 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ मिल सकता है। इससे पहले ”श्रमिक सम्मान योजना” के तहत मजदूरों को 3000 प्रति महीना पेंशन के बिल को सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही हरी झंडी दे दी थी।
मजदूरों के हितों को ध्यान में रखकर अब ”कोड ऑफ ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल, 2019” को मोदी सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। ”कोड ऑफ ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल’ में कामगारों की न्यूनतम मजदूरी 178 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से रखी गयी है और साथ ही कर्मचारियों के हितों का ख्याल रखने की जिम्मेदारी कंपनियों को दी गयी है। कामगारों की न्यूनतम मजदूरी प्रतिदिन के हिसाब से 178 रुपये तय करने से अब देश के सभी राज्य में यही तय की गयी राशि मजदूरों को दी जाएगी यदि कोई राज्य इस तय की गयी राशि से ज्यादा दिहाड़ी देना चाहता है तो उसका स्वागत है।
इस बिल के मुताबिक सभी मजदूरों को वेतन हर महीने की एक निश्चित तारीख पर दिया जाएगा। इस बिल को हर झंडी दे मोदी सरकार ने मजदूरों के चेहरों पर ख़ुशी दी हैं जो किसी तोहफे से कम नहीं है। इस बिल के अनुसार अब महिलाओं के लिए वर्किंग आवर 6 बजे सुबह से 7 बजे शाम के बीच ही रहेंगे। अब दफ्तर में काम करने वाली महिलाएं खुद तय कर सकती हैं कि उन्हें नाइट शिफ्ट में काम करने है या नहीं। आपको बता दें कि यदि कोई कंपनी तय किये गए वर्किंग आवर 6 बजे सुबह से 7 बजे शाम से आगे तय किया जाता है तो कर्मचारी की सुरक्षा की जिम्मेदारी कंपनी की होगी। अब ओवरटाइम लेने से पहले कर्मचारी की सहमति लेना जरूरी हो गया है।
आपको बता दें कि इस बिल में यह प्रावधान है कि कंपनियां तय उम्र के बाद अपने कर्मचारियों का मुफ्त हेल्थ चेकअप करवाएंगी और इतना ही नहीं बच्चों के लिए क्रेच, कैंटीन जैसी सुविधाएं भी कंपनी में होना जरुरी कर दिया गया है। दरअसल श्रम मंत्री संतोष गंगवार के अनुसार इस बिल का फायदा सदन में मंजूरी के बाद 40 करोड़ से अधिक कामगारों को मिलेगा और 13 श्रम कानूनों का अस्तित्व खत्म हो सिर्फ एक कानून रह जाएगा। गौरतलब है कि वे सभी कंपनियां इस बिल के दायरे में आएंगी जिसमें 10 या उससे अधिक स्टाफ काम करते हैं। जो भी प्रावधान किये गए है इस बिल में सभी कंपनियों को वह पुरे करने पड़ेंगे और इका लाभ सभी मजदूरों को मिलेगा।