Makar Sankranti | मकर संक्रांति : पूजा का शुभ मुहूर्त तथा पूजा विधि
हिन्दू धर्म के मुताबिक सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना ही “मकर संक्रांति” कहलाता है, मकर-संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण हो जाता हैं। इस दिन व्रत और दान का विशेष महत्व होता हैं| आपकी जानकारी के लिए बताते चलें की हिंदुओं के लिए सूर्य ज्ञान आध्यात्मिक और प्रकाश का परिचायक माना जाता है और मकर संक्रांति का पर्व इस बात को बखूबी दर्शाता है कि हमें भ्रम के अंधेरे से दूर होना चाहिए और अपने भीतर के प्रकाश की तरफ चलना चाहिए।
Makar Sankranti | मकर संक्रांति : शुभ मुहूर्त
दरअसल साल 2019 में मकर संक्रांति 14 और 15 जनवरी को मनाया जाएगा, बता दें कि 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पुण्य काल का मुहूर्त सुबह 7:15 मिनट से लेकर 12:30 मिनट तक का हैं और 15 जनवरी को महापुण्य काल का मुहूर्त 7:15 मिनट से लेकर 9:15 मिनट तक का हैं और इस दिन गंगा स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता हैं| इतना ही नहीं इस दिन बिना स्नान किए कुछ भी ना खाएं| इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी दान करने की प्रथा है। इसलिए ऐसा कहा जाता है कि लहसुन, प्याज, मांस, अंडा और नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
यह भी पढ़ें : मकर संक्रांति भूल से भी न करें ये 10 काम, 14-15 जनवरी सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी
Makar Sankranti | मकर संक्रांति : पूजा विधि
इस दिन सूर्य भगवान की पूजा अवश्य करे, पूजा करने के लिए सबसे पहले सूर्य को अर्घ्य जरूर दे और सूर्य मंत्र का जाप करे, इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखे कि आप शाम के समय में यानी सूरज ढलने के बाद भोजन ग्रहण ना करे| दरअसल यदि आप इस दिन सूर्य यंत्र की स्थापना करते हैं और विधिवत पूजा करते हैं तो आपको सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती हैं|दरअसल इस दिन को ही भीष्म पितामह ने अपने देह त्याग का दिन चुना था|
दरअसल मकर संक्रांति को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं| पंजाब और हरियाणा में इसे लोहड़ी के रूप में, तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण और असम में भोगी बीहू के रूप में मनाया जाता हैं| जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे खिचड़ी के रूप में मनाया जाता हैं| जबकि बंगाल में स्नान के बाद तिल दान करने की प्रथा हैं| इस दिन नवविवाहित महिलाएं सोलह शृंगार करके दूसरी महिलाओं को शृंगार का सामान दान करती हैं|