इस दिन पड़ रहा है माघ पूर्णिमा, जानें दान और स्नान का क्या शुभ मुहूर्त
हिन्दू धर्म में सभी महीनों में माघ महिना सबसे सर्वश्रेस्थ हैं और इस महिना का हर दिन शुभ होता हैं, हालांकि सबसे ज्यादा महत्व माघ पुर्णिमा का हैं| इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य किया जाता हैं जो बहुत ही लाभकारी माना जाता हैं| इस साल माघ पुर्णिमा का पर्व 19 फरवरी, मंगलवार को पड़ रहा हैं| ऐसे में आज हम आपको माघ पुर्णिमा के दान, स्नान और शुभ मुहूर्त के बारे में बताने जा रहे हैं|
माघ पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
माघ पुर्णिमा का आरंभ 19 फरवरी, मंगवार को 21 बजकर 23 मिनट से होगा और माघ पुर्णिमा की समाप्ती 19 फरवरी, मंगलवार 1 बजकर 11 मिनट पर होगा|
माघ पूर्णिमा का महत्व
इस दिन पुष्य नक्षत्र होने की वजह से इस दिन का महात्ब और अधिक हो गया हैं, माघ पुर्णिमा पर स्नान, दान और मंत्रो का जाप करना बहुत फलदायी होता हैं, माना जाता हैं कि माघ पुर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में नदी स्नान करने से रोग-विकार दूर होते हैं| इस दिन तिल और कंबल दान करने से नरक लोक से मुक्ति मिलती हैं| पौराणिक कथा के अनुसार नर्मदा नदी के तट पर शुभव्रत नमक विद्वान ब्राह्मण रहते थे| लेकिन वो काफी लालची थे और उनका लक्ष्य किसी भी प्रकार से धन प्राप्त करना था| ऐसा कार्य करते-करते वो समय से पूर्व ही वृद्ध नजर आने लगे और कई बीमारियों के चपेट में आ गए|
ऐसे में उन्हें अंर्तज्ञान हुआ कि उन्होने अपना जीवन सिर्फ धन कमाने में बिता दिया और अब उनके जीवन का उद्धार कैसे होगा| ऐसे उन्हें माघ पुर्णिमा में स्नान करने के महात्ब के बारे में बताने वाले श्लोक याद आया| इसके बाद उन्होने स्नान का संकल्प लेकर ब्राह्मण नर्मदा नदी में स्नान करने लगे| लगभग 9 दिनों तक स्नान करने के बाद उनके तबीयत और भी खराब हो गयी| ऐसे में वो सोचने लगे कि उन्होने अपने जीवन में किसी प्रकार का कोई सत्कार्य नहीं किए, इसलिए उन्हें ये दुख भोगना पड़ रहा हैं| लेकिन माघ महीने में स्नान करने के कारण उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुयी|
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माघ पूर्णिमा की पूजा विधि
इस दिन सूर्योदय होने से पूर्व किसी भी पवित्र नदी में स्नान कर ले| स्नान के पश्चात सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुये सूर्य भगवान को अर्घ्य दे और फिर व्रत का संकल्प ले| व्रत संकल्प लेने के बाद भगवान विष्णु की पुजा करे| पुजा करने के लिए सबसे पहले भगवान विष्णु की प्रतिमा पर पीले फूल की माला चढ़ाये| दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल, दूध, चावल और केसर डालकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी के सामने रखे|
इसके बाद लक्ष्मी-नारायण की पूजा धूप-दीप से करे और पुरनमासी की व्रत कथा पढ़े और फिर इसी शंख से भगवान विष्णु जी का अभिषेक करे| अभिषेक के बाद भगवान को नए पोशाक पहनाकर काले तिल से हवन करे और फिर अपने पितरों का तर्पण करे| इस दिन पितरों का श्राद्ध और गरीबों को दान करना चाहिए| इसके अलावा आप गरीब व्यक्तियों को भोजन कराये, गरीबों को काले तिल का दान करने से लाभ मिलता हैं|