सावन 2020 : 81 फुट ऊंची विशालकाय शिव प्रतिमा है प्राचीन महादेव मंदिर की पहचान
हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में अप्पर कोटला कलां में स्थित प्राचीन महादेव मंदिर में 81 फुट ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा आलौकिक दृश्य प्रस्तुत करते हुए जहां श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है वहीं यह मूर्ति मंदिर की पहचान बन चुकी है। दूरदराज से लोग इसे देखने आते हैं और श्रद्धाभाव से सिर झुकाते हैं। टिकाऊपन के लिए 24 फुट तक इसका जमीन के अंदर-बाहर बेस मजबूती से बनाया गया है। इस प्रतिमा के साथ नंदी व पार्वती की प्रतिमाएं भी बनाई गई हैं।
बेहद लोकप्रिय हैं प्राचीन महादेव मंदिर
प्राचीन महादेव मंदिर अपने आप में एक आस्था का केंद्र है जहां शिवलिंग के दर्शन करने मात्र से लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। तपस्या व श्रद्धा का केंद्र प्राचीन महादेव मंदिर है। जंगल के बीचों-बीच बने धार्मिक स्थल धार्मिक पर्यटन को आकर्षित करते हैं। स्वामी चंदनानंद जी महाराज ने वर्षों तक इस स्थान पर तपस्या की और धीरे-धीरे इसी कारण स्थान प्रसिद्ध होता गया और आज एक भव्य मंदिर का रूप ले चुका है। यहां हर समय लंगर की व्यवस्था रहती है। रहने का इंतजाम किया गया है और गाय सेवा भी विशेष रूप से यहां की जाती है।
ब्रह्मलीन स्वामी चंदनानंद जी महाराज के परम शिष्य महंत मंगलानंद जी महाराज ने गद्दी पर विराजमान होने के बाद से ही तपस्या व तप के उस क्रम को आगे बढ़ाया है और लगातार मंदिर के माध्यम से धर्म और समाज सेवा के कार्यों को आगे बढ़ाने का काम किया है। वर्ष 2003 में शुरू हुआ प्रतिमा का निर्माण वर्ष 2006 में पूरा हुआ जिस पर करीब 90 लाख की लागत आई।
प्राचीन महादेव मंदिर में हर वर्ष शिवरात्रि पर बहुत बड़ा मेला लगता है और दिन-रात हजारों श्रद्धालु पंक्ति बद्ध होकर महादेव के दर्शन करते हैं। वहीं पूरे रात की पूजा मंत्रोच्चारण के बीच धार्मिक भाव को मजबूत करती है। अनेक लोग रात्रि की पूजा में भी भाग लेते हैं।
क्षेत्रीय अस्पताल ऊना में रोगियों व उनके साथ आने वाले तीमारदारों को नि:शुल्क भोजन मिले इसके लिए प्राचीन महादेव मंदिर के महंत मंगलानंद महाराज ने पहल की और गुरु का लंगर सेवा समिति ट्रस्ट बनाकर लंगर की सेवा शुरू करवाई। सितम्बर 2019 से लगातार यह लंगर रोजाना नि:शुल्क वितरित किया जाता है और कोरोना संकट के समय में यह समाज के अनेक लोगों के लिए जीवन का आधार बना है। इसमें अनेक सेवादार जुड़कर सेवा कर रहे हैं और क्षेत्र की जनता ने इस लंगर को अपने पारिवारिक कार्यक्रमों से जोड़कर इसमें बहुत बड़ा सहयोग किया है।