जानें, कैसे वैभव लक्ष्मी व्रत, सुख-समृद्धि-वैभव और कीर्ति बढ़ाने की है पूरी गारंटी
घर में सुख शांति एवं समृद्धि के लिए लोग माता वैभव लक्ष्मी की पूजा करते है| जब घर में सुख शांति नहीं रहती है या अधिक प्रयास करने पर भी कोई काम नहीं बन पाता है तब काफी लोग 11 से 21 शुक्रवार तक माता वैभव लक्ष्मी जी का व्रत एवं पूजन करते है| माता वैभव-लक्ष्मी का व्रत करने से इंसान की जिंदगी के सभी संकट दूर हो जाते है और जितना भी बुरा समय चल रहा ही, वो अच्छे समय में बदल जाता है| आपने अक्सर देखा होगा कि दीवाली के दिन भी हमारे घरों में माता वैभव लक्ष्मी व्रत कथा सुनाई जाती है जिसमे हर एक कथा में माता वैभव लक्ष्मी जी के व्रत के फायदे एवं महत्वों के बारे में बताया जाता है|
वैसे माता वैभव-लक्ष्मी जी के व्रत को रखने में कोई भी पाबंदी नहीं है इसे कोई भी पुरुष एवं महिला रख सकते है| जो लोग घर की सुख शांति या बुरे समय को दूर करने के लिए माता का व्रत कर रहे है, उन्हें लगातार 16 या 21 शुक्रवार तक इस व्रत को दोहराना है| नीचे माता वैभव-लक्ष्मी के मंत्र, व्रत और उद्यापन के बारे में बताया गया है –
माता वैभव लक्ष्मी के व्रत की विधि
ऐसा माना जाता है कि अगर आप व्रत करने से पहले माता वैभव लक्ष्मी जी से कोई मनोकामना करते है और लगातार 16 से 21 शुक्रवार तक नियमित रूप से माता वैभव लक्ष्मी का पूजन करते है तो आपकी सभी मनोकामनाए पूर्ण हो जाती है| शुक्रवार के दिन शाम के समय आप माता वैभव लक्ष्मी जी का पूजन कर सकते है| पूजन के लिए आपको पूजा वाले स्थान पर एक लाल कपड़ा बिछा लेना है और उस कपड़े पर भगवान गणेश और वैभव लक्ष्मी जी की तस्वीर पर रख देना है| अब आपको उसी स्थान पर एक मुट्ठी भर के चावल भी रख देना है|
इसके अलावा आपको पूजा वाले स्थान पर एक पानी से भरा हुआ कलश रखने के साथ ही कुछ गुलाब के फूल भी रख देने है| अब आप माता वैभव लक्ष्मी जी की पूजा कर सकते है| ध्यान रहे, व्रत के दिन आपको कुछ भी नहीं खाना है| आप चाहे तो रात 12 बजे के बाद अगला दिन लग जाने पर भोजन कर सकते है|
वैभव लक्ष्मी व्रत के उद्यापन की विधि
एक बार माता लक्ष्मी जी का व्रत प्रारम्भ करने के बाद आपने जितने शुक्रवार व्रत करने का संकल्प लिया है आपको उस संकल्प को पूर्ण करना होता है| एक बार पूर्ण रूप से जब आप अपने सोलह शुक्रवार का व्रत खत्म कर ले, तब आपको अंतिम व्रत के समय घर में उद्यापन रखना होता है| इस उद्यापन को आपको कुछ सुहागन औरतों के साथ करना होता है| इस उद्यापन के दौरान आपको माता वैभव लक्ष्मी जी का पूजन और कथा करनी होती है| पूजा में आप माता वैभव लक्ष्मी जी को खीर का प्रसाद चढ़ा सकते है|
ध्यान रहे, आपको हर शुक्रवार माता वैभव लक्ष्मी को खीर का प्रसाद चढ़ाना है| एक बार कथा समाप्त हो जाने के बाद आपको घर में 7 कुंवारी कन्याओं को भोजन करवाना होता है| कन्याओं को भोजन करवाने के बाद आप उन्हें उपहार में माता वैभव लक्ष्मी की किताब और कुछ रुपये दे सकती है| बस इतना करने के बाद आपका काम यहाँ पूरा हो जाता है| इसके बाद आपने माता वैभव लक्ष्मी से जो भी मनोकामना मांगी है वो जल्द से जल्द पूरी होती है|
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माता वैभव लक्ष्मी के मंत्र का जाप
एक बार माता वैभव लक्ष्मी जी के पूजन और कथा के बाद आपको कम से कम 11 से 21 बार माता वैभव लक्ष्मी जी के मंत्र का जप करना है| माता वैभव लक्ष्मी जी का मंत्र यहाँ नीचे दिया गया है –
या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चंडांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसि या श्री मनोल्हादिनी||
या रत्नाकरमनाथनाथप्रपत्ति विष्णोस्वया गेहिनी।
सा माता पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीचर पद्मावती||
मायत्रभ्यग वदान्म चरणं प्रक्षालनं भोजनं|
सत्सेन्थ पितृ देवा अर्चनम् विधि सत्यं गवां पालनम||
धानयांनामपि सग्रहो न कलहश्चिता त्ररुपा प्रिया:|
दृष्टिवान प्रहा हरि वसामि कमला तस्मिन ग्रहे निष्फला:||