साल भर के बच्चे को गोद में लेकर महिला मजिस्ट्रेट ने वाराणसी के JHV Mall पर चलवाया बुलडोजर
बीते दिनों उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में जिला प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाया, हो रहे अतिक्रमण के दौरान एक महिला अफसर की तस्वीर चर्चा का विषय बन गयी| बता दें कि लिकर किंग जवाहर जायसवाल के कैंट इलाके में स्थित JHV Mall के कुछ हिस्से पर भी बुलडोजर चलाया गया, खास बात यह हैं कि अतिक्रमण के खिलाफ अभियान का नेतृत्व कर रहीं एसीएम- चतुर्थ शुभांगी शुक्ला इस दौरान अपने एक साल के बच्चे के साथ ड्यूटी निभाती नजर आयी|
JHV Mall पर चला बुलडोजर
दरअसल हाल के दिनों में वाराणसी में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाकर, उसे गिराने का काम किया जा रहा हैं| बीते दिनों एसीएम-चतुर्थ शुभांगी शुक्ला के नेतृत्व में एक टीम कैंट इलाके में पहुंची, जहां शहर के बड़े शॉपिंग मॉल में शुमार जेएचवी मॉल के आगे बने हिस्से में भी अतिक्रमण पाया गया| अतिक्रमण पाये जाने के बाद मॉल की मुख्य इमारत से एक मीटर आगे छोड़कर बाकी सभी हिस्से को जेसीबी से तुड़वा दिया गया| बता दें कि मॉल के ध्वस्त होने वाले हिस्से में चेकिंग प्वाइंट और मुख्य गेट भी शामिल रहा|
जब यह अतिक्रमण हो रहा हैं तो लोगों के बीच वहाँ मौजूद महिला अफसर शुभांगी शुक्ल लोगों के बीच चर्चा की विषय बन गयी क्योंकि वो अपने एक साल के बच्चे को गोद में लिए हुये ड्यूटी निभाने पहुंची थी, ड्यूटी निभाते समय कई बार उनका बच्चा रोया लेकिन वो अपनी ड्यूटी बड़ी ईमानदारी से निभा रही थी| इतना ही नहीं उन्होने धूल-मिट्टी के बीच खड़े होकर अतिक्रमण को गिरवाया| जब कई बार बच्चा रोया तो उनके बच्चे को वहाँ मौजूद स्टाफ ने संभाला, इस बीच वो वहाँ मौजूद रही|
नहीं हटी पीछे
काम पूरा होने के बाद ही शुभांगी वहाँ से गयी, शुभांगी शुक्ला 2015 बैच की पीसीएस अफसर हैं और मूलत: वो बांदा जनपद की रहने वाली हैं| बात करे शुभांगी शुक्ला के पति को तो उन्होने हाल में ही अपनी पीएचडी पूरी की है| फिलहाल वो सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं| शुभांगी द्वारा किए गए इस कार्य के बारे में हर कोई चर्चा कर रहा हैं कि बच्चे के रोने के बाद वो वहाँ से नहीं गयी बल्कि ड्यूटी निभाने के बाद ही वो वहाँ से गयी, अर्थात शुभांगी अपनी ड्यूटी बड़ी ईमानदारी से निभा रही थी| अफसर शुभांगी शुक्ल ने माँ और अफसर दोनों की ड्यूटी बड़ी बखूबी निभाई, उन्होने ना ही अपने बच्चे की ज़िम्मेदारी और ना ही अपने पद की ज़िम्मेदारी से मुंह मोड़ा बल्कि दोनों जिम्मेदारियों को एक साथ निभाया|
यह भी पढ़ें : चलती-फिरती ओपीडी हैं काशी के घाटों पर लोगों का मुफ्त इलाज करने वाले ये डॉक्टर