संसद में एक साथ नहीं बैठेंगे हेमा और सनी देओल, जानें क्या है वजह
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी की शानदार जीत हुयी है वहीं इन चुनावों में एक ही परिवार के दो सदस्यों की भी भारी वोटों से जीत हुई है। हम बात कर रहे हैं हेमा मालिनी और सनी देओल की जो इस बार बीजेपी की ओर से लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी थे। आपको बता दें हेमा मालिनी 2004 से बीजेपी से जुड़ी हुई हैं वह 2014 के लोकसभा चुनावों में मथुरा की सीट जीतकर सांसद बनी थीं और 2019 में भी वह मथुरा से जीत कर दोबारा सांसद बन चुकी हैं। वहीं उनके सौतेले बेटे सनी देओल 2019 में बीजेपी से जुड़े और वह गुरदासपुर की सीट से चुनाव में खड़े हुए और जीत हांसिल की। अब चुनाव में विजयी होने के बाद दोनों ही लोग लोकसभा में बतौर सांसद मौजूद होंगे लेकिन दोनों साथ में नहीं बैठेंगे।
आइये आपको बताते हैं इसके पीछे की वजह क्या है
दोनों एक साथ एक ही समय पर लोकसभा में मौजूद होंगे लेकिन साथ नहीं बैठेंगे इसके पीछे की वजह उनका पारिवारिक मतभेद नहीं हैं बल्कि वजह कुछ और ही है। हेमा मालिनी 15 वर्षों से बीजेपी से जुड़ी हैं और दूसरी बार सांसद बनी हैं वहीं सनी देओल पहली बार चुनाव लड़कर आये हैं। लोकसभा में वरिष्ठ सांसदों के बैठने लिए आगे की सीट होती हैं वहीं नौनिर्वाचित सांसदों के लिए पीछे सीट होती है। इसलिए हेमा मालिनी वरिष्ठ सांसदों की सीट पर आगे बैठी होंगी और सनी देओल को पीछे बैठने के लिए सीट दी जाएगी।
बता दें कि गुरदासपुर की लोकसभा सीट से अब तक दिवंगत अभिनेता विनोद खन्ना चुनाव लड़ा करते थे और उन्होंने इस सीट से बीजेपी को कई चुनावों में जीत दिलाई है। लेकिन उनके निधन के बाद यह माना जा रहा था कि उनकी पत्नी को भाजपा इस सीट से टिकट देगी लेकिन पार्टी ने धर्मेंद्र के बेटे बॉलीवुड अभिनेता सनी देओल के बीजेपी में आने के बाद पार्टी ने उनको टिकट देने का फैसला किया। वहीं यह बात आपको शायद ही पता होगी कि सनी देओल से पहले उनके पिता धर्मेंद्र भी लोकसभा चुनाव लड़कर जीत चुके हैं, धर्मेंद्र 2004 में बीकानेर लोकसभा सीट से चुनाव में खड़े थे और वहीं से जीतकर सांसद बने थे।
इस बार मिले वोटो की बात की जाय तो गुरदासपुर लोकसभा सीट से सनी देओल को 5.58 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं और उन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ को हराया है, सुनील जाखड़ को 4.76 लाख वोट मिले हैं। हेमा मालिनी की बात करें तो मथुरा लोकसभा सीट से उन्हें 6.71 लाख से ज्यादा वोट मिले हैं और उनके प्रतिद्वंदी राष्ट्रीय लोकदल के कुंवर नरेंद्र सिंह को 3.77 लाख वोट हासिल हुए हैं।