Vat Savitri Vrat 2019: वट सावित्री व्रत पर बन रहा है बेहद शुभकारी योग, जानें क्या है समय
हर साल हिन्दू धर्म में महिलाएं अपने पति और परिवार की समृद्धि के लिए बहुत से व्रत रखती हैं। उन्हीं में से एक है वट सावित्री का व्रत। वट सावित्री का व्रत अखंड सौभाग्य देने वाला और संतान की प्राप्ति में सहायता देने वाला व्रत माना गया है। भारतीय संस्कृति में यह व्रत आदर्श नारीत्व का प्रतीक बन चुका है। यह व्रत प्रतिवर्ष ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। साल 2019 में महिलाओं के अखण्ड सौभाग्य का व्रत वट सावित्री 3 जून सोमवार को ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या के दिन मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र की कामना में व्रत रखती हैं और पीपल के पेड़ के नीचे बैठकर पूजा-अर्चना करती हैं।
इस बार वट सावित्री व्रत सोमवती अमावस्या के दिन पड़ रहा है। यह योग बहुत ही फलकारी माना जाता है। मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शनि का जन्म हुआ था। इस दिन लोग शनि देव को प्रसन्न करने के लिए पीपल या बरगद के पेड़ की पूजा करते हैं। इसलिए इस तिथि पर वट सावित्री का व्रत महिलाओ के लिए और भी फलकारी सिद्ध होगा। महिलाएं पूजा संपन्न करने के बाद बरगद के पेड़ की परिक्रमा भी करती हैं और साथ एक धागा लेकर बरगद के पेड़ में बांधती हैं। ऐसी मान्यता है कि वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करने से परम सौभाग्य की प्राप्ति होती है । इस बार व्रत में पूजा का शुभ समय सूर्योदय के पूर्व से ही प्रारम्भ हो जाएगा और दिन के 03:30 तक रहेगा।
क्या है मान्यता ?
मान्यता है कि इसी दिन सावित्री ने एक पतिव्रता नारी के रूप में अपने मृत पति सत्यवान के प्राणो की रक्षा यमराज से की थी। तभी से यह माना जाता है कि कोई भी सुहागन स्त्री यह व्रत रखकर अपने पति को आने वाले संकट से बचा सकती है। यह व्रत पति की लम्बी उम्र और उसकी समृद्धि की कामना के लिए विशेषतः रखा जाता है। कहते हैं सावित्री ने वट की पेड़ के नीचे बैठ कर अपने पति के प्राण वापस पाने के लिए तपस्या की थी इसलिए इस व्रत में बरगद या वट के पेड़ की पूजा की जाती है। इसके अलावा हिन्दू धर्म में बरगद के पेड़ का बहुत महत्व है। पुराणों के मुताबिक वट वृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में भगवान विष्णु और अग्रभाग में भगवान शिव का वास माना जाता हैं। एक और मान्यता यह है कि इसी तिथि पर मार्कण्डेय ऋषि को भगवान शिव के वरदान से वट वृक्ष के पत्ते में पैर का अंगूठा चूसते हुए बाल मुकुंद के दर्शन हुए थे, तभी से वट वृक्ष की पूजा की जाती है।
पूजा की आवश्यक सामग्री:
शास्त्रों के अनुसार, वट सावित्री व्रत में पूजन सामग्री का खास महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि सही पूजन सामग्री के बिना की गई पूजा अधूरी ही मानी जाती है। वट सावित्री के व्रत में पूजन सामग्री में बांस का पंखा, परिक्रमा के लिए धागा, धूपबत्ती, फूल, कोई भी पांच फल, जल से भरा पात्र, सिंदूर, लाल कपड़ा आदि का होना अनिवार्य है।