ओडिशा में बवाल मचाने वाले तूफान का क्या है सही नाम, फानी, फोनी या फनी
चक्रवात फानी ने शुक्रवार को देश में दस्तक दे दी है, तूफ़ान सबसे पहले ओडिशा के तट पर टकराया। जब यह तूफ़ान ओडिशा पहुंचा तो इसकी रफ़्तार 200 किमी प्रति घंटा थी, जो कि अनुमानित रफ़्तार से कहीं ज़्यादा है। 25 अप्रैल को बंगाल की खाड़ी में इसकी उत्पत्ति के बाद से ही मौसम वैज्ञानिकों की फानी पर नज़र बना रखी थी और कहा गया था 5 मई तक इसके देश में आने की सम्भावना है, हालाँकि ऐसा हुआ नहीं। इस तूफ़ान को के बारे में पहले से कोई भी अनुमान लगाना मौसम वैज्ञानिकों के लिए मुश्किल हो रहा है।
चक्रवात फानी देश के पूर्वी तट पर काफी तबाही मचा रहा है, ओडिशा के आठ जिले चक्रवाती तूफान से प्रभावित हुए हैं। इसकी उत्पत्ति भीषण गर्मी के कारण हुई है, पिछले 43 वर्षों में ओडिशा को प्रभावित करने वाला पहला दुर्लभ तूफ़ान है। ओडिशा तबाही मचाने के बाद यह तूफ़ान 115 किमी प्रति घंटा की रफ़्तार के साथ पश्चिम बंगाल पहुंच चुका है, इसके कारण वहां भारी बारिश भी रही है। रविवार तक फानी भारत से निकलकर बांग्लादेश पहुंचेगा।
ANI के द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, इस तूफ़ान से अब तक दीवारों, पेड़ों और बिजली के खंभे गिरने से लगभग 20 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों की संख्या को मान्य करने के लिए अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी पुष्टि नहीं की गयी है। इस तूफ़ान से लाखों लोग प्रभावित हुए हैं, और राज्य सरकार ने बड़े पैमाने पर बचाव और बहाली अभियान शुरू किया है। राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों के साथ सड़क अवरोधक साफ करने के बाद, ओडिशा आपदा रैपिड एक्शन फोर्स और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के कर्मियों ने गांवों में जाना शुरू कर दिया है।चूंकि संचार नेटवर्क भी प्रभावित है, इसलिए क्षति की सीमा का पता नहीं लगाया जा सका है।
विडियो : Cyclone Fani | फानी ने मचाई भयंकर तबाही, मंजर देख कोई भी हो जाएगा हैरान
जब से इस तूफ़ान के बारे में ख़बरें आना शुरू हुई हैं तब ही इसके नाम को लेकर कन्फूज़न बनी हुई है। इसके नाम के कई उच्चारण सुनने को मिल रहे हैं, कोई इस फ़ानी बोल रहा, कोई फैनी और कोई फनी। आइए आपको बताते है इसका सही उच्चारण क्या है और इसका नामकरण कैसे हुआ। इस चक्रवात का नाम बांग्लादेश के सुझाव पर ‘फणि’ रखा गया था और इसे वहां ‘फोनि’ उच्चारित किया जाता है। इसका शाब्दिक अर्थ सांप है। देश बदलने के साथ ही शब्दों का उच्चारण भी बदलता चला जाता है। अंग्रेजी में इसे Fani लिखा जा रहा है इसलिए हिंदी में इसका नाम फानी या फनी प्रचलित हो गया है। तूफानो और चक्रवातों के नामकरण की शुरुआत ‘विश्व मौसम विज्ञान संगठन’ ने सबसे पहले की थी।
इसके बाद विश्व मौसम विज्ञान के नक़्शे कदम पर भारत में भी 2004 में चक्रवाती तूफानों का नाम रखने की परंपरा शुरू हुई। उत्तरी प्रशांत महासागर क्षेत्र में उत्पन्न हुए तूफानों के नाम के सुझाव भारत के साथ-साथ श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान और थाइलैंड भी देते हैं। सभी देशो द्वारा सुझाय गए नामों की सूची तैयार की जाती है इसे वर्णों के क्रम के अनुसार बनाया जाता है। इन सभी आठ देशों ने वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन को भविष्य में आने वाले तूफानों के नाम की सूची पहले से ही दे रखी थी। इसी सूची से इसमें से बांग्लादेश के द्वारा प्रस्तावित नाम ‘फोनी’ चुना गया था। इसी सूची में भारत द्वारा सुझाए गए नाम ‘अग्नि’, ‘बिजली’, ‘मेघ’, ‘सागर’ और ‘आकाश’ सम्मिलित थे।