आइए जानें, कैसे एक आईएएस अधिकारी होता है बर्खास्त
हाल के दिनों में आइएएस और आईपीएस अधिकारियों की अक्षमता और घटिया प्रदर्शन की वजह से भारतीय सेवा नियम के तहत इन अधिकारियों के निलंबन और बर्खास्तगी नीति की समीक्षा कर रही हैं और इसके लिए निर्देश भी जारी कर रही हैं| बता दें कि एक आईएएस अधिकारी पूरे जिले का प्रभावशाली व्यक्ति होता हैं और वह जिले के हर विभाग का मार्गदर्शन करता हैं| दरअसल केंद्र में सभी मंत्रालयों के सचिव आईएएस अधिकारी ही होते हैं, वो कोई भी मंत्रालय भी हो सकता हैं| इतना ही नहीं इस सर्विस में आना जितना कठिन होता हैं, उतना ही कठिन इस सर्विस में रह रहे लोगों को हटाना भी कठिन हैं|
एक आईएएस अधिकारी जनता और सरकार के बीच मिडिएटर का काम करता हैं| इसलिए एक आईएएस अधिकारी से योजनाओं और नीतियों को बनाने तथा उनके क्रियान्वयन की अपेक्षा की जाती हैं| बता दें कि आईएएस अधिकारी के सेवा नियम और बर्खास्तगी के नियम संविधान के अनुच्छेद 311 में वर्णित हैं और आईएएस अधिकारी की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है तथा सरकार उसको भारतीय गजट में नोटिफाई करती है इसिलिए यह अधिकारी गज़ेटेड अधिकारी भी कहलाता हैं|
अर्थात आईएएस अधिकारी को राष्ट्रपति के अलावा कोई नहीं बर्खास्त कर सकता हैं| हालांकि राज्य सरकारे इन्हें बस निलंबित कर सकती हैं क्योंकि बर्खास्तगी का अधिकार राज्य सरकारों के पास नहीं होती हैं| आमतौर पर इन आधिकारियों को बर्खास्त करने के लिए दो तरीके अपनाएं जाते हैं यानि पहले उनके खिलाफ आरोपों की जांच की जाती हैं और फिर उन्हें बर्खास्त किया जाता हैं| हालांकि इसे संविधान के 42 वें संसोधन अधिनियम के तहत बदल दिया गया है और अब इसके तहत जांच के दौरान प्राप्त साक्ष्य के आधार पर बर्खास्तगी, पद से हटाने या रैंक में कमी की, सजा दी जा सकती है।
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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अनुच्छेद 311 (2) के अंतर्गत स्थायी और अस्थायी दोनों सरकारी कर्मचारियों को संरक्षण प्राप्त है। दरअसल केंद्र सरकार के हालिया रुख को देखते हुये कहाँ जा सकता हैं कि वो सरकार के किसी काम में जरा भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं करना चाहती हैं और सिविल सेवाओं में तैनात अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना चाहती हैं|