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ईद-उल-अजहा: जानें, आखिर क्यों मनाई जाती हैं ‘बकरीद’, इसके पीछे छिपा है ये रहस्यमय इतिहास

ईद-उल-अजहा: जानें, आखिर क्यों मनाई जाती हैं ‘बकरीद’, इसके पीछे छिपा है ये रहस्यमय इतिहास

ईद-उल-अजहा: जानें, आखिर क्यों मनाई जाती हैं ‘बकरीद’, इसके पीछे छिपा है ये रहस्यमय इतिहास

22 अगस्त, बुधवार को बकरीद का त्यौहार हैं| इसे इस्लाम धर्म में ‘ईद-उल-अजहा’ के नाम से भी जाना जाता हैं| इस त्यौहार को पूरे विश्व में मनाया जाता हैं| इस दिन अमूमन बकरे की कुर्बानी दी जाती हैं| इस्लाम धर्म में तो वैसे बहुत सारे त्यौहार मनाए जाते हैं लेकिन उन त्यौहारो में दो मुख्य त्यौहार ईद-उल-फितर और ईद-उल-अज़हा होता हैं| ईद-उल-अज़हा त्यौहार के मौके पर केंद्र सरकार ने अवकाश को लेकर कुछ फेर-बदल करते हुये कहा हैं कि नई दिल्ली स्थित केंद्र सरकार के कार्यालय 23 अगस्त के बजाय 22 अगस्त को बंद रहेंगे।

ईद-उल-अजहा: जानें, आखिर क्यों मनाई जाती हैं ‘बकरीद’, इसके पीछे छिपा है ये रहस्यमय इतिहास

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इस्लाम धर्म में एक साल में दो तरह की ईद,  ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा मनाई जाती है| ईद-उल-फ़ितर के बारे में सभी लोग जानते हैं , इसे मीठी ईद के नाम से भी जानते हैं| रमजान के पवित्र महीने के समाप्ती के बाद ईद का त्यौहार मनाया जाता है| इस दिन लोग नए-नए कपड़े पहनकर एक-दूसरे के गले मिलते है और एक-दूसरे के घर सेवइयाँ पीने जाते हैं| बकरीद का त्यौहार ईद के दो महीने बाद पड़ता हैं| कुछ लोग इन दोनों त्यौहारो के बीच के अंतर को नहीं समझ पाते हैं| यदि आप भी इन दोनों त्यौहारो के बीच के अंतर को नहीं जानते हैं तो आज हम आपको इन दोनों त्यौहारों के बीच के अंतर के बारे में आपको बताएँगे|

दोनों ईद में अंतर क्या हैं

वैसे तो दोनों ईद में इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग सुबह उठकर नहा-धोकर, साफ-सुथरे कपड़े पहनकर सार्वजनिक नमाज मस्जिद में अदा करते हैं| ईद-उल-फ़ितर में बस नमाज अदा करते हैं और सेवइयाँ पीकर खुशियाँ मनाते हैं लेकिन ईद-उल-अज़हा के दिन नमाज अदा करने के बाद लोग बकरे या फिर ऊंट की कुर्बानी देते है| ज़्यादातर लोग बकरे की ही कुर्बानी देते हैं|

ईद-उल-अजहा मनाने के पीछे छिपा हैं रहस्य

ईद-उल-अजहा मनाने के पीछे एक कहानी प्रचलित है। बताया जाता है कि इब्राहिम अलैय सलाम नामक एक व्यक्ति थे जिनके पास कोई संतान नहीं थी। काफी मिन्नतों के बाद इब्राहिम अलैय सलाम को एक पुत्र हुआ, जिसका नाम उन्होंने इस्माइल रखा। एक दिन इब्राहिम को सपने में अल्लाह ने उनसे अपनी सबसे प्रिय चीज की कुर्बानी देने के लिए कहाँ और अल्लाह की हुक्म को ना मानना उनके लिए संभव नहीं था|

ईद-उल-अजहा: जानें, आखिर क्यों मनाई जाती हैं ‘बकरीद’, इसके पीछे छिपा है ये रहस्यमय इतिहास

इसलिए वे अपनी प्रिय चीज यानि अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तैयार हो गए थे। लेकिन जैसे ही उन्होने अपने बेटे की कुर्बानी देनी चाही ठीक उसी वक्त किसी फरिश्ते ने छुरी के नीचे से उनके बेटे इस्माइल को हटाकर एक मेमने को रख दिया। कुर्बानी देने के बाद जब उन्होंने अपनी आंखों से पट्टी हटाई और देखा की उनका बेटा इस्माइल सामने खेल रहा है और नीचे मेमने का सिर कटा हुआ है। तभी से इस त्यौहार को मनाने की परंपरा शुरू हो गयी और आज तक चली आ रही है|

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