छठ पूजा 2018 : यहां जानें छठ पुजा का शुभ मुहूर्त, पूजन व अर्ध्य विधि
साल में दो बार छठ का पर्व पूरी श्रद्धा और आस्था से मनाया जाता हैं, पहला छठ पर्व चैत्र महीने में तो दूसरा कार्तिक महीने में मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी चैती छठ और कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को कार्तिकी छठ कहा जाता है, छठ पुजा सूर्यदेव की उपासना के लिए प्रसिद्ध है, आज हम आपको छठ पूजा शुभ मुहूर्त पूजन विधि के बारे में बताएँगे।
ऐसी मान्यता हैं कि छठ देवी सूर्यदेव की बहन है और इसलिए छठ पर्व पर छठ देवी को प्रसन्न करने हेतु सूर्य देव को भी प्रसन्न किया जाता है| गंगा-यमुना या किसी भी नदी, सरोवर के तट पर सूर्यदेव की उपासना की जाती है| पहला दिन यानि चतुर्थी तिथि ‘नहाय-खाय’ के रूप में मनाया जाता है और पंचमी को खरना व्रत किया जाता है और इस दिन संध्याकाल में उपासक प्रसाद के रूप में गुड़-खीर, रोटी और फल आदि का सेवन करते है और अगले 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखते हैं|
छठ पूजा का शुभ मुहूर्त
छठ पर्व की तिथि – 13 नवंबर, मंगलवार
छठ पूजा के दिन सूर्योदय का समय – 6:45 मिनट
छठ पूजा के दिन सूर्यास्त होने का समय – 17:28 मिनट
षष्ठी तिथि का आरंभ – 13 नवंबर 1:50 मिनट
षष्ठी तिथि की समाप्ति – 14 नवंबर 4:22 मिनट
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पूजा विधि
- छठ पर्व में मंदिरों में पूजन नहीं किया जाता हैं और ना ही घर में साफ़-सफाई की जाती है|
- छठ पर्व से दो दिन पूर्व चतुर्थी पर स्नानादि से निवृत्त होकर भोजन ग्रहण किया जाता है।
- पंचमी को व्रत करके संध्याकाल में किसी तालाब या नदी में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्ध्य दिया जाता है और इसके तत्पश्चात अलोना भोजन ग्रहण किया जाता है।
- षष्ठी के दिन प्रात:काल स्नानादि के बाद संकल्प लिया जाता है और संकल्प लेते समय निम्न मन्त्रों का उच्चारण करना चाहिए|
- पूरा दिन निराहार और नीरजा निर्जल रहकर पुनः नदी या तालाब पर जाकर स्नान किया जाता है और सूर्यदेव को अर्ध्य दिया जाता है|
अर्ध्य
छठ पुजा पर अर्ध्य देने की भी एक विधि होती है, एक बांस के सूप में केला एवं अन्य फल, अलोना प्रसाद, ईख आदि रखकर उसे पीले वस्त्र से ढक कर रखकर इसके तत्पश्चात दीप जलाकर सूप में रखें और सूप को दोनों हाथों में लेकर तीन बार अस्त होते हुए सूर्यदेव को अर्ध्य दें।