जानें क्या है खरमास? इसके पीछे छिपा है बेहद ही बड़ा वैज्ञानिक कारण
हिन्दू धर्म में ग्रहों की चाल और उनकी दशा का इंसान के जीवन में घटने वाली प्रत्येक घटना का प्रभाव पड़ता हैं| जिसके कारण कई बार लाभ और हानी का सामना भी करना पड़ता हैं और यह लाभ-हानी इस बात पर निर्भर करता हैं कि ग्रहों के चाल के मुताबिक उस व्यक्ति ने कौन सही और कौन से गलत कार्य किए हैं| दरअसल ग्रहों की इन्हीं स्थिति में से एक खरमास भी हैं| जिस प्रकार से श्राद्ध के महीने में शुभ कार्य करने की मनाही हैं ठीक उसी प्रकार में भी शुभ कार्य करने की मनाही हैं, ऐसे में आज हम आपको खरमास से जुड़ी कुछ विशेष बातों को बताने जा रहे हैं|
हिन्दू धर्म के मुताबिक सूर्य हर एक राशि में पूरे एक माह के लिए रहता है अर्थात वो बारह महीनों में बारह राशियों में प्रवेश करता हैं और सूर्य का यह भ्रमण काल पूरे महीने तक चलता रहता हैं| इसलिए पूरे साल में शुभ और अशुभ मुहूर्त बदलते हैं| जब बारह राशियों में भ्रमण करते हुए सूर्य गुरु यानी बृहस्पति की राशि धनु या मीन में प्रवेश करता है तो खरमास माह की शुरुआत होती हैं और इस माह में सभी शुभ कार्य नहीं सम्पन्न किए जाते हैं|
हिन्दू शास्त्रो के मुताबिक खरमास में सभी प्रकार के शुभ कार्य जैसे- शादी, सगाई, गृह प्रवेश, नए घर का निर्माण इत्यादि नहीं किया जाता हैं क्योंकि इस समय सूर्य गुरु की राशियों में रहता है जिसके कारण गुरु का प्रभाव कम हो जाता है| लेकिन शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए गुरु का प्रबल होना अति आवश्यक होता है क्योंकि गुरु जीवन में वैवाहिक सुख-शांति और संतान देने वाला होता है|
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खरमास का वैज्ञानिक कारण
पूरी दुनिया की आत्मा का सूर्य केंद्र है और बृहस्पति की किरणें अध्यात्म और अनुसाशन की ओर प्रेरित करती है| लेकिन जब सूर्य और बृहस्पति एक-दूसरे की राशि में प्रवेश करते हैं तो समर्पण और लगाव की बजाय त्याग और बलिदान की भूमिका अधिक देते हैं| इतना ही नहीं उद्देश्य और लक्ष्य में असफलताओं का सामना करना पड़ता हैं| बता दें कि सूर्य की तरह बृहस्पति भी हाइड्रोजन और हीलियम से बना हुआ है और सूर्य की तरह इसका केंद्र भी पानी से भरा हुआ है, जिसमें ज्यादातर हाइड्रोजन ही है, जबकि अन्य ग्रहों का केंद्र ठोस है| बृहस्पति, सौर मंडल के सभी ग्रहों से ज्यादा भारी हैं| ऐसे में यदि बृहस्पति थोड़ा और बड़ा होता तो वह दूसरा सूर्य कहलाता हैं यानि दोनों ग्रहों में बहुत सारी समानताएं हैं|
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सूर्य पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर और बृहस्पति 64 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित है और ये दोनों साल में एक बार एक-दूसरे के साथ आ जाते हैं| जिसकी वजह से सौर चुम्बकीय रेखाओं के माध्यम से बृहस्पति के कण बहुत अधिक मात्रा में पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंच जाते हैं, जो एक-दूसरे की राशि में आकर अपनी किरणों को आंदोलित करते हैं| जिसके कारण धनु और मीन राशि के सूर्य को खरमास कहा जाता है| बता दें कि इस साल सूर्य धनु राशि में 16 दिसंबर को प्रवेश कर रहा हैं और इसके बाद से ही खरमास महीने की शुरुआत हो जाएगी| सूर्य 14 जनवरी तक धनु में राशि में रहेंगे और 14 जनवरी के बाद खरमास महीने की समाप्ती हो जाएगी|