ऋतिक रोशन साझा की अपने हकलाने, बताया बचपन से था इस समस्या से परेशान
बॉलीवुड के सबसे बेस्ट फिजिक वाले अभिनेताओन में से एक ऋतिक रोशन जो ना सिर्फ अपनी जबर्दस्त बॉडी के लिए जाने जाते हैं बल्कि अपने गजब के डांस और एक्टिंग के लिए भी उतने ही लोकप्रिय हैं, बता दें की ऋतिक अब स्क्रीन पर अपनी पंचलाइन बोलते हैं उसमे बहुत ही दम होता है और हो भी क्यों नहीं उन्होंने हर इस कद तक पहुँचने से पहले बहुत संघर्ष किया है और कई तरह की स्थितियाँ भी अनुभव किया है और सिर्फ किया ही नहीं बल्कि बड़ी बहादुरी के साथ अपने संघर्षों को बयां भी किया है।
आपको बताते चलें की खुद ऋतिक ने यह स्वीकार किया है कि वह केवल स्पीच थेरेपी के जरिये ही अपने अभिनय आकांक्षाओं को पूरा कर सकते थे जिसे उन्होने कर के दिखाया भी। एक अखबार में छपी खबर के अनुसार “द इंडियन स्टैमरिंग एसोसिएशन (TISA)” का ब्रांड एंबेसडर बनने के लिए ऋतिक रोशन से संपर्क किया गया था और इसी सिलसिले में एसोसिएशन के नौ सदस्यों ने ऋतिक के साथ 15 मार्च को उनके ही घर पर इस विषय पर बातें भी की थी।
बताया जाता है की जहाँ यह चर्चा मात्र 20-25 मिनट की होनी थी वो तकरीबन एक घंटे से भी कुछ ज्यादा देर तक चली और आपको यह जानकार हैरानी होगी की इतने बड़े स्टार होने के बावजुड़ इस बात का खुलासा खुद ऋतिक ने ही किया कि वह कैसे शीशे के सामने खड़े हो कर बात करने की प्रैक्टिस किया करते थे, अपनी आवाज रिकॉर्ड करते थे और गाना भी सीखते थे। ऋतिक ने साझा करते हुए कहा,”मैं हर दिन स्पीच पर काबू पाने के लिए अभ्यास करता हूं, मैं अभी भी कम से कम एक घंटे के लिए प्रैक्टिस करता हूं ताकि मैं माध्यमिक क्रियाएं जैसे कि झटके के साथ बोलने को नियंत्रित कर सकूं।” इसके अलावा अभिनेता ने बताया की हकलाने की अस्वीकार्यता मेरे बचपन में न केवल परेशान करने वाली थी, बल्कि 2012 तक बनी रही, जब तक कि मैं फिल्म स्टार नहीं बन गया।
अपने करियर के शुरुआती वर्षों में, उन्हें कई स्क्रिप्ट को ना कहना पड़ा, जिनमें लंबे मोनोलॉग थे क्योंकि वे इसे बोलने में आश्वस्त नहीं थे। इस मुलाकात के दौरान, ऋतिक को एक वाक्य याद आया जब एक पुरस्कार प्राप्त करने के लिए वह दुबई जाने वाले थे। उस समय वह “दुबई” शब्द कहने के लिए संघर्ष कर रहे थे, और अपनी स्वीकृति भाषण को बोलने से पहले बार-बार अभ्यास किया था।
अभिनेता ऋतिक रोशन ने स्वीकार करते हुए कहा, “मैंने अब अपने आप को एक स्लो स्पीकर के रूप में स्वीकार कर लिया था, कोई भी वाक्य जोर से बोलने से पहले मुझे अपने दिमाग में उसका अभ्यास करना पड़ता था। लंबे वक्त के लिए, मेरे लिए यह स्वीकार करना संघर्षपूर्ण था, लेकिन अब मैं ठीक हूं।” आगे कहते हुए कि सफलता 2012 में न्यूरो-लिंगुइस्तिक प्रोग्रामिंग के साथ आई, जिसने उन्हें इस समस्या से मुक्त कर दिया।
आपको यह भी बता दें की ऋतिक के घर से जाने से पहले, TISA के सदस्यों ने उन्हें बैज और हैंड बैंड दिए, जबकि ऋतिक बताया की वह सभी गतिविधियों के लिए अपना समर्थन देंगे और कहा कि वह इस तरह की अन्य बातचीत के लिए समर्थन करेंगे। आपकी जानकारी के लिए यह भी बताते चलें की अभी हाल ही में ऋतिक रोशन की फिल्म “सुपर 30” आने वाली हैं जिसमे आपको उनके एक अलग ही रूप दिखेगा।