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जानें, कैसे परखें बनारसी या कांजीवरम साड़ी असली है या नकली

जानें, कैसे परखें बनारसी या कांजीवरम साड़ी असली है या नकली

प्राचीन काल से भारत में महिलाओ का परंपरागत पहनावा साड़ी ही रहा है। समय समय पर अनेकों प्रकार के कपड़ों से साड़ी बनाई गयी और इसी के साथ साड़ी पहनने का स्टाइल भी बदलता रहा है। किसी भी पारिवारिक या वैवाहिक अवसर पर साड़ी ही महिलाओं की पहली पसंद होती है। आज हम महिलाओं की इसी पसंद की बात करेंगे और बताएँगे दो सबसे ज़्यादा लोकप्रिय साड़ियों के बारे में। हम बात कर रहे उत्तर भारत में बनायीं जाने वाली बनारसी साड़ियों की और दक्षिण भारत में बनायीं जाने वाली कांजीवरम साड़ियों की भी।

जानें, कैसे परखें बनारसी या कांजीवरम साड़ी असली है या नकली

बनारसी साड़ियों की बात की जाए तो इसका नाम बनारसी इसलिए पड़ा क्यूंकि इसकी उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के बनारस (वाराणसी) के बुनकरों द्वारा की गयी थी। इसकी उत्पत्ति के बाद से ही यह भारतीय महिलाओं की सुंदरता का लालित्य और प्रतीक रही है। इन बनारसी साड़ियों को बनाने के लिए महीन रेशम का उपयोग बुनकर करते हैं। बनारसी साड़ियों की जड़ें भारत के गहरे सांस्कृतिक इतिहास में हैं। पहले के समय में राजा महाराजाओं के घरानो के लिए प्रत्येक बनारसी साड़ी को असली सोने और चांदी के धागों से बनाया जाता था।

एक साड़ी बनाने के लिए कारीगरों को लगभग एक साल तक लग जाते थे। वर्तमान में बनारसी साड़ियां रेशम के धागो से बनायीं जाती है, बनारसी साड़ियों में डिजाइन छोटी और खूबसूरत होती है। एक असली बनारसी साड़ी की कीमत डिजाइन और काम की गहनता पर आधारित होती है। इसकी कीमत 3,000 से लेकर 2,00,000 तक हो सकती है। हालांकि, देखा गया है कि एक अच्छी बनारसी सदी की कीमत 8,000 से 10,000 के बीच होती है।

जानें, कैसे परखें बनारसी या कांजीवरम साड़ी असली है या नकली

वही कांजीवरम साड़ियों की बात करें तो इस साड़ी का नामकारण भी इसके उत्पत्ति स्थल से ही हुआ है। कांजीवरम साड़ियां दक्षिण भारत के एक छोटे से गाँव कांचीपुरम में बनायीं जाती थी इसलिए इसका नाम कांजीवरम पड़ा। यह साड़ी दक्षिण भारत में अत्यंत लोक्रपिय है दक्षिण भारत की महिलाएं इससे अपने विवाह पर अवश्य पहनती हैं। बनरसी सदी के मुकाबले कांजीवरम साड़ियां ज़्यादा मोटे कपडे और गहरे होती है।

कांजीपुरम साड़ी को भारत के आलावा श्रीलंका, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल में भी पहना जाता है। शुद्ध रेशम और शुद्ध ज़री के साथ बानी हुई कंजिवारम साड़ी की कीमत कहीं भी 7,000 से 2,00,000 रूपये के बीच हो सकती है। लागत में कटौती करने के लिए आपको शुद्ध रेशम की जगह नकली ज़री या आधा रेशम-आधा सिंथेटिक और साथ नकली ज़री की सस्ती कंजिवारम साड़ी बाजार में आपको ढेरों ढेरों मिल जाएँगी।

जानें, कैसे परखें बनारसी या कांजीवरम साड़ी असली है या नकली

कैसे पहचाने की बनारसी या कांजीवरम साड़ी असली है या नहीं ?

1.यही कांजीवरम या बनारसी साड़ी की ज़री की डिजाइन घनी है फिर भी वह साड़ी वजन में हलकी लगती है तो वह साड़ी असली है। साथ की कपडे नकली साड़ियों के मुकाबल मुलायम भी होता है।
2.आप कीमत से भी साड़ी के असली या नकली होने का पता लगा सकती हैं। कोई भी असली बनारसी साड़ी या कांजीवरम साड़ी की कीमत 2,500 से 3,000 रुपयों के बीच होती है। नकली बनारसी या कांजीवरम साड़ियां आपको आराम से 1,500 तक बाजार में मिल जाएँगी।

3.बनारसी या कांजीवरम साड़ी का फैब्रिक अगर असली होगा तो वह देखने में चमकदार होगा । कांजीवरम साड़ी को जांचने के लिए उसकी जरी को खुरच कर देखें, अगर उसके नीचे लाल सिल्क निकले तो इसका मतलब है कि आपकी कांजीवरम साड़ी असली है क्यूंकि साड़ियों की बुनाई करते समय नीचे लाल धागा मज़बूती के लिए लगाया जाता है।

4 .अब बनारसी साड़ियों और कांजीवरम साड़ियों की पहचान करने का एक और तरीका है। अब आप जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग की मदद से आसानी से साड़ी की वास्तविकता जान सकते हैं। यह टैग सरकारी मार्कर ग्राहकों और कारीगरों की सुरक्षा के लिए उनकी बनायीं गयी साड़ियों पर लगाया जाता है।

5. असली बनारसी साड़ी पर बने डिजाइन पारंपरिक होते हैं और असली बनारसी साड़ी के पल्लू में हमेशा छह से आठ इंच लंबा प्लेन सिल्क फैब्रिक होता है। अगर आपकी बनारसी साड़ी पर मुगल पैटर्न से प्रेरित अमरू, अंबी और दोमक जैसे पैटर्न हैं तो इसका मतलब है आपके पास असली बनारसी साड़ी है।

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