90 प्रतिशत लोग नहीं जानते हैं, लंगड़ा आम को क्यों कहा जाता है ‘लंगड़ा’
गर्मियों का मौसम हो और आम की बात न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता है। आम एक ऐसा फल है जिसे हर आयु के लोग बेहदपसंद करते हैं और बहुत चाव से खाते हैं, चाहे कच्चे आम का पना हो, आम का जूस या फिर आम का बना अचार सबका अपना अलग स्वाद और मज़ा है। इन सब के अलावा ऐसे बहुत सारी चीज़े है जो आम बनायीं और खाईं जाती हैं। मई का महीना शुरू हो चुका और बाज़ारों में अब आम भी दिखने लगे हैं बस कुछ ही दिनों में हर तरह के आम बाज़ारों में मिलने लगेंगे।
आपको बता दें कि भारत में लगभग 1500 किस्म के आमों का उत्पादन किया जाता है। इनमे से सबसे ज़्यादा खाये जाने वाले आमों में दशहरी, हापुस, चौसा, केसर, तोतापरी, सफेदा, सिंदूरी, नीलम और लंगड़ा इत्यादि आते हैं। हर आम के नाम के पीछे उसके स्वाद और आकार की कहानी छुपी हुई होती है इनमे से एक है लंगड़ा आम जिसकी आज हम बात करेंगे। आप सब लोगो में से ये बात बहुत कम लोगो को पता होगी की इसका नाम लंगड़ा क्यों पड़ा।
लंगड़ा आम बाकी आमो की तरह पीले रंग का नहीं होता बल्कि इसका रंग हरा होता है। यह आम बाकि आमो के मुकाबले ज़्यादा मीठा और रसदार होता है। आपको बता दे कि इस आम के नाम की कहानी एक व्यक्ति से जुड़ी हुई है। इस आम की प्रजाति आज से लगभग 200-300 साल पुरानी है जिसकी कहानी उत्तर प्रदेश के शहर वाराणसी से जुडी हुयी है।
रोचक है लंगड़ा आम की कहानी
कहानी यह है कि जब एक व्यक्ति ने आम खाकर उसका बीज अपने घर के आँगन में ही लगा दिया और जब उस पेड़ पर फल आने लग गए तो दूर-दूर से लोगों ने आकर इस आम को खा के देखा और सबको ये आम बहुत पसंद आया। तब से ही लंगड़ा आम लोकप्रिय हो गया। जिस व्यक्ति ने इस आम के पेड़ को अपने घर में लगाया था वह लंगड़ा था और लोग उसे यही कहकर बुलाते थे तो लोगो ने धीरे- धीरे उस व्यक्ति के नाम पर ही इस आम का नाम रख दिया।
इस आम की खेती अब उत्तर प्रदेश, हरियाणा,मध्य प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, गुजरात, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, पंजाब, और पश्चिम बंगाल में की जाती है। लंगड़ा आम देश भर में जून लेकर अगस्त महीने तक मिलता है।