जानिए आखिर भारत में कैसे आया जायकेदार मोमोज, क्या है इसके पीछे की कहानी
वर्तमान समय में मोमोज भारत का लोकप्रिय डिश बन गया हैं| वेज और नॉनवेज में मिलने के कारण इसे छोटे से बड़ा हर कोई खाना पसंद करता हैं| यह आपको बड़े से बड़े और छोटे से छोटे बाज़ारों में आसानी से मिल जाता हैं, खास कर आपको कॉलेज के बाहर मोमोज के शॉप आसानी से देखने को मिल जाते होंगे जहां पर स्टूडेंट की भारी भीड़ जमा रहती हैं| बता दें कि मोमोज इंडियन फूड नहीं बल्कि विदेशी फूड हैं, जिसने काफी लंबा सफर किया और तब जाकर वह भारत में इतना लोकप्रिय हो सका|
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मोमोज तिब्बती डिश हैं और यह चीन के मालपूए डिश से काफी प्रभावित हैं| यह डिश नेपाल से होते हुये भारत में आयी और लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गयी| यह डिश भारत के हर कोने में मिलती हैं| बता दें कि मोमोज का शाब्दिक अर्थ भांप से पकाई जाने वाली रोटी और ऐसा कहा जाता हैं कि इसे सबसे पहले तिब्बत के ल्हासा में बनाई गयी, इसके बाद इसके स्वाद और रूप में परिवर्तन होता गया|
मोमोज जब तिब्बत से नेपाल में आई तो इसके बनाने की सामग्री में परिवर्तन हो गया| इसके बाद यह डिश वेज और नॉनवेज दोनों में बनने लगा| बता दें कि सबसे पहले मांस और सब्जियों को मिलाकर मोमोज काठमाण्डू में बनाया गया| हालांकि इसकी उत्पत्ति को लेकर सटीक जानकारी मिलना थोड़ा मुश्किल हैं| दरअसल तिब्बत की संस्कृति और खानपान पर चीन जैसे राज्य और मंगोलों का प्रभाव ज्यादा रहा हैं| इसलिए ऐसा भी कहा जाता हैं कि मोमोज, चीन से आयी डिश हैं|
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शिलांग में मोमोज को मांस से तैयार किया जाता हैं और यह वहाँ काफी फेमस हैं| यहाँ के लोग इसे बड़े ही चाव से खाते हैं| इतना ही नहीं यहाँ के लोग इसके अंदर सरसों की पत्तियाँ और दूसरे सब्जियाँ भी डालकर बनाते हैं जो पेट के लिए फायदेमंद होता हैं| बता दें कि चीन में मोमोज को डिसमिस कहा जाता हैं और यहाँ पर मांस के साथ सब्जियाँ मिलाकर बनाई जाती हैं| दरअसल आजकल भांप के अलावा फ्राई किए हुये मोमोज खाने का क्रेज चल चुका हैं|