नव संवत्सर 2076: कल से आरम्भ होगा नया हिन्दू वर्ष , ज्योतिष नजरिए से कैसा रहेगा देश पर ग्रहों का असर
2019 में हिन्दू नववर्ष की शुरुआत 6 अप्रैल से हो रही है, उत्तर भारत में इसे नवरात्री के रूप में और महाराष्ट्र में इसे गुड़ीपड़वा के रूप में मनाया जाता है| भारतीय नववर्ष की शुरुआत शुक्ल प्रतिपदा से होती है इसे नव संवतसर भी कहते हैं| दरअसल भारतीय कैलेंडर की गणना सूर्य और चन्द्रमा के आधार पर होती है| इतना ही नहीं 12 महीनों का एक वर्ष और हफ्ते के सात दिन विक्रम संवत के ही आधार पर हैं इसीलिए दुनिया के तमाम कैलेंडर भारतीय कैलेंडर का कहीं न कहीं अनुसरण करते हैं। अब यह तय है कि विक्रम संवत की शुरुआत 57ईसवी पूर्व हुई थी, जैसे हर महीने और दिन के नाम होते हैं वैसे ही सवंत्सरों के भी नाम है| ये संख्या में कुल साठ हैं और इन्हें 20-20 की श्रेणी में बांटा गया है| हर साल अपनेआपमें हर पहलू से अहम होता है और भारत में किसी भी घटना और दिन के पीछे ज्योतिष गणना अवश्य होती है|
इस नववर्ष के लिए भी बहुत सी ज्योतिष गणनाएं हुई हैं तो जानते हैं ज्योतिष के नज़रिए से कैसा रहेगा यह वर्ष :
इस वर्ष आकाशीय मंत्रिमंडल के अनुसार राजा शनि और मंत्री सूर्य होंगे जबकि पिछले वर्ष राजा सूर्य और मंत्री शनि थे|शनि न्याय के देवता हैं इसलिए इस वर्ष भारत को अंतराष्ट्रीय स्तर पर यथोचित न्याय मिल सकता है| शनि और सूर्य परस्पर विरोधी होने के कारण टकराव की स्थिति हो सकती है| राजनेताओं में आरोप प्रत्यारोप हो सकता है| प्रकृतिक आपदा जैसे बाढ़ और सूखे की स्थिति कुछ राज्यों में देखने को मिल सकती है, अस्थिरता और भय का माहौल भी रह सकता है|
सूर्य का प्रभाव
सूर्य के मंत्री पद पर आने से राजनीति में हलचल बढ़ जाती है| केंद्र और राज्य की सरकारों में विवाद बढ़ सकते हैं| आर्थिक क्षेत्र में वृद्धि हो सकती है और धनधान्य में बढ़ोतरी हो सकती है| सरकारी नीतियाँ कठोर हो सकती हैं|
मंगल का प्रभाव
इस वर्ष मौसम की प्रतिकूलता के चलते फसलों का नुकसान हो सकता है और अनाज महँगा हो सकता है| महंगाई का दौर अधिक रह सकता है|व्यापारिक वस्तुओं की कीमत में उतार -चढाव हो सकता है|
शनि का प्रभाव
इसी वर्ष में कहीं कहीं बाढ़ और सूखे की स्थिति हो सकती है| नीतियाँ कठोर होने की वजह से लोगों में असंतोष और विरोध पनप सकती हैं|
चन्द्रमा का प्रभाव
चन्द्रमा के प्रभाव से रसदार वस्तुओं में वृद्धि हो सकती है| चावल की खेती और दूध के उत्पादन में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है| नदिओं और तालाबों में जलस्तर अच्छा रह सकता है|
गुरु का प्रभाव
साधनों में वृद्धि हो सकती है| आर्थिक रूप से संपन्न लोगों के लिए समय अनुकूल रह सकता है| रसदार फलों की पैदावार अच्छी हो सकती है| विद्वानों को उचित सम्मान मिल सकता है|