पूरा हुआ GST का एक साल, पेट्रो पदार्थ के बिना ही औसतन 91 हजार करोड़ रुपए का टैक्स प्रति माह आया
कल 1 जुलाई को पूरे देश में 70 वर्ष पुराना टैक्स स्ट्रक्चर खत्म कर माल एवं सेवाकर (जीएसटी) व्यवस्था लागू हुए एक साल पूरा हो रहा है और इस व्यवस्था के लिए नेटवर्क ढांचे का रखरखाव और संचालन करने वाली कंपनी जीएसटीएन का दावा है कि नेटवर्क प्रणाली अब पूरी तरह स्थिर है। इससे पहले वैट और सैट के रूप मे तक्ष लिया जाता था जिसे बदलकर GST कर दिया गया। इसके तहत 5%, 12%, 18% और 28% के टैक्स स्लैब बनाए गए।
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बताना चाहेंगे की जब जीएसटी लागू हुआ, तब सवाल ये उठा था कि इससे सरकार को रेवेन्यू का नुकसान हुआ। मगर जीएसटी लागू होने के बाद से पिछले करीब 11 महीने के आंकड़े यह साफ करते हैं कि 17 अप्रत्यक्ष करों के बदले जीएसटी लागू करने से कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ। आपकी जानकारी के लिए बता दें की जीएसटी लागू होने से पहले वित्त वर्ष 2016-17 में कुल इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 17.10 लाख करोड़ रुपए और हर महीने औसतन 1 लाख करोड़ रुपए का कलेक्शन हुआ था।
जबकि दूसरी तरफ जीएसटी के 11 महीनों यानी जुलाई 2017 से लेकर मई 2018 के बीच कुल टैक्स कलेक्शन औसतन करीब 10.06 लाख करोड़ रुपए और हर महीने औसत कलेक्शन 91 हजार करोड़ रुपए रहा अभी तो जून माह के आंकड़े आने बाकी ही हैं। सरकार इस आंकड़े पर काफी संतुष्ट नजर आ रही है और आए भी क्यों ना आखिर इसमें पेट्रोलियम उत्पादों, शराब, तंबाकू और मनोरंजन पर लगने वाला टैक्स शामिल नहीं है इसके बावजूद यह नतीजा है।
जब से जीएसटी लागू हुआ है, ऑनलाइन टैक्स का भुगतान कर काफी राहत मिली है साथ ही साथ कारोबार आदि में भी काफी बढ़ोतरी हुई है। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि जीएसटी के आने से सभी तरह के चेक-पोस्ट खत्म हो गए और माल सामानों की आवाजाही तेज हो गई। जिससे ना सिर्फ समय बच रहा है बल्कि लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में भी इसका काफी लाभ मिल रहा है।
मन की बात कार्यक्रम में जीएसटी व्यवस्था की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ईमानदारी की जीत बताया। साथ ही प्रधानमंत्री ने इसे सहकारी संघवाद का बेहतरीन उदाहरण बताया।