Gangaur Puja 2020: इस दिन है गणगौर तीज, अच्छे पति की प्राप्ति के लिए रखा जाता है ये व्रत
गणगौर का त्यौहार होली के बाद आने वाला त्यौहार हैं गणगौर के पर्व का हिंदू धर्म मे विशेष महत्व हैं, गणगौर का त्यौहार 16 दिनों तक चलता हैं ये त्यौहार चैत्र माह के पहले दिन से शुरू होकर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि तक मनाया जाता हैं।
हालांकि कुछ जगह पर महिलाएं ये त्यौहार केवल आखिरी दिन ही मनाती हैं, ये त्यौहार राजस्थान, गुजरात मध्यप्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता हैं, इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। इस त्यौहार को गौरी तीज और सौभाग्य तीज भी कहते हैं, गणगौर का अर्थ- गण का अर्थ होता हैं भगवान शिव और गौर का अर्थ होता हैं मां पार्वती, इसलिए ये दिन भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित हैं।
क्यों मनाया जाता हैं गणगौर का त्यौहार
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान शिव ने मां पार्वती को सदा सुहागन रहने का आशीर्वाद दिया था और मां पार्वती ने इसी दिन सभी सुहागन महिलाओं को सदा सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया था। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए वरदान मांगती है वहीं कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए ये पूजा करती हैं।
कैसे की जाती हैं गणगौर की पूजा
गणगौर का त्यौहार होली के अगले दिन से ही शुरू हो जाता हैं और चैत्र नवरात्रों के तीसरे दिन तक चलता हैं यानी चैत्र माह की शुक्लपक्ष की तृतीया तक। चैत्र माह की शुक्लपक्ष की द्वितीय को सिंजारा भी कहा जाता हैं और इस दिन महिलाएं किसी भी पवित्र नदी, तालाब या सरोवर जाकर गणगौर को पानी पिलाती हैं और तृतीय के दिन शाम के समय उन्हें जल में प्रवाहित कर देती हैं।
कब हैं इस बार गणगौर पूजा और उसका शुभ मुहूर्त
इस बार गणगौर 10 मार्च को शुरू हुई थी और इसका समापन 27 मार्च को होगा, गणगौर का अंतिम दिन काफी विशेष महत्व वाला होता हैं। अंतिम दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सर्वार्थ सिद्धि योग में सुबह 6:17 से लेकर 10:09 तक रहेगा और रवि योग सुबह 10:09 से लेकर अगले दिन सुबह 6:15 तक रहेगा।
चैत्र शुक्लपक्ष तृतीया की शुरुआत 26 मार्च को शाम 7:53 से लेकर 27 मार्च को रात 10:12 तक रहेगी।
गणगौर पूजा के लिए पूजन सामग्री
लकड़ी की चौकी या पटटा, तांबे का कलश, काली मिट्टी या होली की राख, गोबर, दो मिट्टी के कुंडे या गमले, कुमकुम, चावल, हल्दी, मिट्टी का दीपक, मेहंदी, गुलाल-अबीर, घी, काजल, फूल, दुब, आम के पत्ते, नारियल, सुपारी, गणगौर के कपड़े, बांस की टोकरीं, गेंहू, चुनरी, सिक्का, कौड़ी, घेवर, हलवा, सुहाग का सामान, चांदी की अंगूठी इत्यादि।
पूजा की विधि
चैत्र कृष्णपक्ष की एकादशी को स्नान करने के बाद ज़मीन पर मिट्टी और गोबर की सहायता से एक चौक बना लें, फिर होलिका दहन की राख से 8 पिंडिया और गोबर से 8 पिंडिया बना लें, अब 16 दिन तक इसकी पूजा कीजिये, कुंवारी लड़कियां एक लोटे में जल, बाहर से दुब यानी घास और फूल लेकर गीत गाती हुई आती हैं और दुब से गणगौर को पानी की छींटे मारती हैं। एक थाली में पूजन सामग्री लीजिये और 16 दिन तक गणगौर की पूजा कीजिए।
दीवार पर मेहंदी और काजल की बिंदी लगाये, कुंवारी लड़कियां 16 बार और महिलाएं 8 बार लगाए, भोग लगाने के लिए अलग-अलग चीज़ो का उपयोग किया जाता हैं 16 दिन तक पूजा करके शाम के समय गणगौर को पानी पिलाना चाहिए और गणगौर के विदाई गीत गाते हुए उन्हें विदा करें।