इस बार गंगा दशहरा पर बन रहा अद्भुत संयोग, इन मंत्रों के जाप करने से होगा विशेष लाभ
हिन्दू धर्म में गंगा दशहरा का बहुत ही खास महत्व होता है और इसबार तो ये और भी ज्यादा खास हो गया है क्योंकि इस बार गंगा दशहरा मलमास माह में पड़ा है और इसी वजह से यह काफी ज्यादा लाभप्रद है, इस दिन दूर-दूर से श्रद्धालु गंगा तट का रुख करते हैं। ऐसा माना है की इस दिन जो भी मनुष्य गंगा स्नान कर के दान-पुण्य करता है, उसे दस तरह के पापों से मुक्ती मिलती है और इसी वजह से इस तिथि को दशहरा कहते है।
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आपको बता दें की गंगा दशहरा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे हर कोई बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाता है। गंगा दशहरा के दिन माता गंगा को याद करते हुए प्रार्थना करनी चाहिए, गंगाजी देवनदी हैं जो मनुष्यों को नित्य ही उनके भावनानुसार भक्ति और मुक्ति प्रदान करती हैं।
सबसे पहले आपको बता दें की ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को दशहरा कहते हैं। गंगा दशहरा देवी गंगा को समर्पित एक पर्व है जिसे ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मई या जून के माह में पड़ता है। आपकी जानकरी के लिए बता दें की गंगा दशहरा को गंगावतारण् भी कहा जाता है जिसका अर्थ है ‘गंगा का अवतार’।
बताना चाहेंगे की वेदों और पुराणों के अनुसार, पूर्वाह्ण – व्यापिनी ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को हस्त नक्षत्र कालीन स्वर्ग से गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था। बताया जाता है की धरती पर बढ़ रहे पापों का नाश करने के लिए पतित पावनी गंगा, भागीरथ के तप से धरती पर आईं। चूंकि माँ गंगा धरती पर आ तो गयी मगर गंगा के प्रवाह के तेज वेग को सह नहीं पायी जिस वजह से भगवान शिव ने गंगा के वेग को कम करने के लिए पहले उन्हे अपनी जटाओं में धारण कर लिया।
इस वर्ष गंगा दशहरा के दिन काशी के दशाश्वमेध घाट में दश (दस) प्रकार से स्नान करके, शिवलिंग का दस संख्या के गंध, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य और फल आदि से पुजा करने के बाद यदि रात्रि को जागरण करते हैं तो इससे आपको अनंत फल की प्राप्ति होती है।
इन मंत्रों से होगा विशेष लाभ
आपको बताना चाहेंगे की गंगा दशहरा के दिन गंगा नदी या पास के किसी भी साफ जलाशय या फिर घर के शुद्ध जल से स्नान करके किसी साक्षात् मूर्ति के समीप बैठ जाए और फिर “ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः” का जाप करें। इसके बाद “ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै स्वाहा” करके हवन करे। तत्पश्चात “ऊँ नमो भगवति ऐं ह्रीं श्रीं ( वाक्-काम-मायामयि) हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा।” आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस मंत्र से पांच पुष्पाञ्जलि अर्पण करके गंगा को भूतल पर लाने वाले भगीरथ का और जहां से वे आई हैं उस हिमालय का नाम-मंत्र से पूजन कर लेने से आपको काफी लाभ मिलता है।