आज के दिन ऐसे करें ये पूजन, रूका हुआ हर काम होगा पूरा
गणेश भगवान के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। गणेश भगवान को मंगलमूर्ति के रूप में माना जाता हैं| सभी देवताओं में सबसे पहले गणेश जी का पूजन किया जाता है क्योंकि माना गया हैं की वे शुभता के प्रतीक हैं। इस संसार के पंचतत्वों में गणेश जी को जल का स्थान दिया गया है।
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गणेश जी को सिद्धि विनायका के नाम से भी जाना जाता हैं| मान्यता हैं की गणपति जी के पूजन के बिना कोई भी कार्य सम्पन्न नहीं होता हैं। इसलिए कोई भी शुभ काम हो सबसे पहले गणेश जी की पुजा की जाती हैं| भगवान श्री गणेश जी असीम सुखों को प्रदान करते हैं। शुक्ल पक्ष की चतुर्थी विनायक चतुर्थी और संकट से मुक्ति दिलाने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी कहलाती है। इस दिन लोग व्रत आदि रखते हैं| माना जाता हैं की संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से आपके जीवन की सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं। 3 मई बृहस्पतिवार को संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी का व्रत है। आप इस व्रत को रखे और इसका फल जरूर पाएँ|
व्रत विधि
संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी के भक्त सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास रखते हैं। भगवान गणपति जी को ज्ञान के क्षेत्र में सर्वोच्च माना गया है| सिद्धि विनायक जी को सभी तरह के विघ्न हरता के लिए पूजा जाता हैं। इसीलिए मान्यता हैं की संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी तरह के विघ्नों से मुक्ति मिल जाती है। अर्थात आप जिस किसी समस्या से परेशान हैं उससे आपको मुक्ति जरूर मिलेगी|
व्रत करने से पहले आप चतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-सुथरा वस्त्र धारण करें। श्री गणेश चतुर्थी के दिन व्रत करने वाले को लाल रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए क्योंकि इससे आपको विशेष लाभ की प्राप्ति होगी। आप जब भी श्री गणेश जी की पूजा करें उस समय व्रत करने वाले को अपना मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। इसके बाद स्वच्छ आसन पर बैठ कर भगवान सिद्धि विनायक जी का पूजन करें। इस बात ध्यान रखे की गणपति बप्पा की पूजा-अर्चना विधिवत पूर्वक करनी चाहिए।
पूजन के दौरान धूप-दीप आदि से श्री गणेश जी की आराधना जरूर करनी चाहिए। भगवान गणेश जी प्रसाद के रूप में आप तिल से बनी वस्तुओं, तिल-गुड़ के लड्डू तथा मोदक का भोग लगाना चाहिए। मोदक भगवान गणेश जी का प्रिय भोजन हैं इसलिए उनको मोदक का भोग लगाना चाहिए| सिद्ध-बुद्धि सहित महागणपति जी आपको नमस्कार हैं| इस वाक्य के साथ प्रसाद के रूप में मोदक व मौसमी फल आदि चढ़ाएँ| शाम के समय व्रतधारी को संकष्टी गणेश चतुर्थी की कथा पढ़नी चाहिए या आप कथा सुनें और सुनाएं।उसके बाद गणेश जी की आरती करनी चाहिए।