अयोध्या फैसले पर पूर्व चीफ जस्टिस ए के गांगुली का बड़ा बयान, मुसलमानों के साथ गलत हुआ
“अल्पसंख्यकों ने पीढ़ियों से देखा है कि वहां एक मस्जिद थी, मस्जिद को ढहा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, वहां एक मंदिर बनाया जाएगा। इस फैसले से मेरे मन में एक शंका पैदा हुई। संविधान के छात्र के रूप में, मुझे इसे स्वीकार करने में कुछ कठिनाई हो रही है।” – पूर्व चीफ जस्टिस ए के गांगुली. जस्टिस गांगुली का कहना है कि कहीं ना कही अगर ये साबित हो गया है कि आजादी के वक्त 1949 में वहां पर नमाज़ पढ़ी जाती थी, यह बात साबित हो चुकी है| लेकिन अगर संविधान लागू होने के बाद वहां पर मस्जिद होने के सबूत ना मिले हो, लेकिन वहां पर एक मस्जिद थी, तो सुप्रीम कोर्ट मस्जिद वाली जगह पर मन्दिर बनाने का आदेश दे रहा हैं ये कैसे सही है?
जस्टिस गांगुली : मुसलमान होंगे आहात
जस्टिस गांगुली का यह भी कहना है कि “ ऐसे फैसले से एक मुसलमान आखिर क्या सोचेगा, कि एक ऐसी जगह जहां पर पहले मस्जिद थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट अब वहां मन्दिर बनाने को कह रही है| संविधान का एक छात्र होने के कारण मुझे इसे समझने में थोड़ी समस्या हो रही है|” कोर्ट के द्वारा फैसला इस आधार पर लिया गया हैं क्योंकि अयोध्या की ज़मीन रामलला से जुड़ी है| लेकिन चीफ जस्टिस का कहना हैं कि “लोग पीढ़ियों से देखते आ रहे हैं कि वहां 500 साल पहले से एक मस्जिद थी|
अब जब लोग कह रहे हैं कि किसी मन्दिर को टूटवाकर वहां मस्जिद बनाई गयी थी, जबकि अभी तक ये साबित ही नहीं हुआ हैं कि मस्जिद के पहले जो ढांचा वहां था, वो मंदिर का था या किसी और चीज़ का, तो वहाँ पर मन्दिर बनाने की अनुमति सुप्रीम कोर्ट कैसे दे सकता है? चीफ जस्टिस गांगुली का कहना है “ अगर वहां पर मस्जिद थी तो सुप्रीम कोर्ट का यह संवैधानिक कर्तव्य है कि वह सभी के धार्मिक अधिकारों की रक्षा करें| चीफ जस्टिस का यह भी कहना है कि “ क्या यह हक़ सुप्रीम कोर्ट का है कि वह जमीन के मालिकाना हक़ होने का फैसला कर सकें| सिर्फ इस आस्था के चलते कि ज़मीन रामलला से जुड़ी हुई थी, क्या आस्था के आधार पर कोई फैसला लेना सही है?
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क्या होना चाहिए था चीफ जस्टिस गांगुली के अनुसार फैसला
जिस जस्टिस ए के गांगुली वहीँ हैं जिन्होंने साल 2012 में टू-जी स्प्रेक्ट्रम आवंटन में फैसला सुनाया था| चीफ जस्टिस गांगुली के अनुसार अगर उन्हें फैसला देना होता तो वह ये देखकर फैसला करते कि अगर वहां पहले मस्जिद था तो वे केवल मस्जिद बनाने का ही फैसला देते, लेकिन अगर वह ज़मीन विवादित है तो वह इस जगह पर हॉस्पिटल या स्कूल बनाने का फैसला दे देते|