करारी हार के बावजूद मोदी कैबिनेट में इस मंंत्री को मिला ये स्थान, ली मंत्री पद की शपथ
बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुख़्तार अब्बास नकवी को भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में अल्पसंख्यक मंत्रालय के मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है। कल उन्होंने राष्ट्रपति भवन में अपने मंत्रिपद के लिए राष्ट्रपति के सामने शपथ ली। 2014 में जब मोदी पहली बार सत्ता में आए थे, तब भी नकवी को अल्पसंख्यक मामलों का राज्य मंत्री बनाया गया था। उन्होंने मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार तब संभाला जब 2016 में अल्पसंख्यक मामलों की पूर्व मंत्री नजमा हेपतुल्ला ने इस्तीफा दे दिया। आपको बात दे कि मुख्तार अब्बास नक़वी ने भले ही बीजेपी को प्रचंड जीत दिलाने में भारी योगदान दिया हो लेकिन इस बार वह अपनी पार्टी के लिए लोकसभा सीट नहीं जीत सके।
लोकसभा चुनावों में नक़वी जीत हांसिल नहीं कर सके
नकवी उत्तर प्रदेश और झारखंड से राज्यसभा के सदस्य रह चुके हैं। साल 2014 में उन्होंने यूपी के रामपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हांसिल की थी। रामपुर यूपी की एकमात्र मुस्लिम सीट मानी जाती है जिस पर जीत हांसिल करना आसान नहीं होता। इस बार पार्टी ने रामपुर से आज़म खान के मुकाबले में जया प्रदा को मैदान में उतारा था जिसमे कि वह जीत नहीं सकीं। वही मुख्तार अब्बास नक़वी को मुरादाबाद मंडल से चुनाव लड़ने का मौका दिया गया, लेकिन वह भी जीत हांसिल न कर सके।
मुख्तार अब्बास नकवी 1986 में भाजपा में शामिल हुए थे, जब वह कॉलेज में थे और अब दशकों बाद, वे अपनी पार्टी के प्रमुख मुस्लिम चेहरों में से एक के रूप में उभरे। 61 वर्षीय मंत्री नक़वी ने अपना पहला चुनाव 1980 में इलाहाबाद पश्चिम से जनता दल के उम्मीदवार के रूप में लड़ा था जिसमे उन्हें हार मिली थी। 1998 में जब वह पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए, तो उन्हें संसदीय कार्य मंत्रालय के अतिरिक्त प्रभार के साथ सूचना और प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री नियुक्त किया गया। अपने चुनाव की शुरुआत के लगभग 18 साल बाद, उन्होंने 2014 में उत्तर प्रदेश के रामपुर निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के टिकट से जीत हासिल की थी।
चुनावों के पहले नकवी ने कहा था कि ‘सरकार की प्राथमिकता समाज के कमजोर वर्गों को सशक्त बनाना और ‘न्यू इंडिया’ हासिल करने के लक्ष्य की दिशा में काम करना है।’ वहीं हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों के दौरान, नकवी ने अपने “मोदीजी की सेना” की टिप्पणियों के साथ एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया था। जिसके लिए चुनाव आयोग ने उन्हें राजनीतिक प्रचार के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग करने के खिलाफ चेतावनी दी और भविष्य में सावधान रहने के लिए कहा था।