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चलती-फिरती ओपीडी हैं काशी के घाटों पर लोगों का मुफ्त इलाज करने वाले ये डॉक्टर

चलती-फिरती ओपीडी हैं काशी के घाटों पर लोगों का मुफ्त इलाज करने वाले ये डॉक्टर

डॉक्टर को लोग भगवान का दर्जा देते हैं क्योंकि उनके जीवन की आखिरी डोर डॉक्टर के पास ही होती है। लोग डॉक्टर पर बहुत भरोसा करत है और काशी का एक डॉक्टर लोगों के इस भरोसे पर एक दम खरा उतरता है। काशी में एक डॉक्टर है जिसे लोग बहुत मानते है और इस डॉक्टर का नाम डॉ. विजय नाथ मिश्रा है जो एक बीएचयू के पूर्व अधीक्षक और न्यूरोलॉजिस्ट है। काशी के घाटों पर लोगों का मुफ्त इलाज करने वाले इस महान व्यक्ति ने सही मायनों में डॉक्टर की परिभाषा को सबके सामने रखा है जो काबिले तारीफ है। निस्वार्थ भाव से डॉ. विजय नाथ मिश्रा मरीजों की सेवा करने में लगे हुए हैं और लोगों को बीमारियों से बचा रहे हैं।

चलती-फिरती ओपीडी हैं काशी के घाटों पर लोगों का मुफ्त इलाज करने वाले ये डॉक्टर

जरूरतमंदों का करते हैं मुफ्त इलाज

अपने इस नेक काम को करते हुए डॉ. विजय नाथ अब तक 70 गंभीर रोगियों को इलाज भी कर चुके हैं और इतना ही नहीं वह 20 से ज्यादा को बीएचयू में भर्ती करा चुके हैं। मानवता की नई मिसाल कायम करने वाले डॉ. विजय नाथ मिश्रा को काशी में लोग चलती-फिरती ओपीडी के नाम से जाने जाते हैं। अपने काम के प्रति सच्चाई और ईमानदारी के चलते डॉ. विजय नाथ मिश्रा जरूरतमंदों का मुफ्त इलाज कर उन्हें दवाइयां भी खुद ही देते हैं। बीमारी से लाचार गरीबों के लिए डॉ. विजय नाथ मिश्रा किसी फरिश्ते से कम नहीं हैं।

वह रोज रात को करीब एक घंटा वॉक करते हैं और इस दौरान उनका फोकस बीमार लोगों पर ही रहता है। दरअसल डॉ. विजय नाथ मिश्रा ने यह फैसला पिछले साल ही लिया था। डॉ. मिश्रा बताते हैं कि ‘उनका परिवार बीते साल जनवरी में दिल्ली गया था। वे परिवार को एयरपोर्ट छोड़कर लौटे तो मन बैचेन था। वे सीधे गंगा किनारे पहुंच गए। उन्होंने भैंसासुर घाट से वॉक शुरू की। रात ज्यादा होने के कारण उस दिन वे लौटकर घर आ गए, अगले दिन उन्होंने सभी 84 घाट घूमने का निर्णय लिया।’

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लोगों की मदद को हमेशा रहते हैं तत्पर

अपने इस फैसले को लेने के बारे में बताते हुए डॉ. विजय नाथ मिश्रा ने कहा कि ‘पंचगंगा घाट के पास एक आदमी बेहोश होकर गिर गया। उसे देखकर अच्छा नहीं लगा, पास का मेहता अस्पताल बंद था। यही मेरा पहला मरीज था। एक बार मणिकर्णिका पर अंतिम संस्कार के समय एक व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़ा। उसका भी इलाज किया। बस तभी से घाट पर नियमित रूप से लोगों का इलाज शुरू किया।’ आपको बता दें कि डॉ. मिश्रा ने काशी के घाटों पर नशामुक्ति अभियान भी छेड़ा था। उन्होंने ट्वीट के जरिये डीजीपी से मदद मांगी थी जिसके चलते अब चौकी इन्चार्ज और एक सिपाही भी घाटों पर वॉक करता है।

काशी के रामघाट पर स्थित मेहता अस्पताल बंद हो गया है जिसके संबंध में डॉक्टर मिश्रा ने पीएम मोदी और सीएम योगी से अपील की है कि ‘मेहता अस्पताल बीएचयू को दे दिया जाए। 84 घाटों से सटी गलियों में रहने वाले लोगो को जीवनदान मिल जाएगा और मैं चाहता हूं कि अन्य डॉक्टर भी घाटों पर असहाय-जरूरतमंदों को अपना योगदान दें।’ डॉ. मिश्रा के घाट वॉक को एक साल हो गया है और 14 जनवरी को घाट वॉक का पहली सालगिरह मनाई गई, जिसमें करीब 1500 लोग शामिल हुए।

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