संन्यास के बाद सीएम योगी के पिता ने कि थी ऐसी डिमांड, बेटे ने एक ही बार में कर दी थी पूरी
20 अप्रैल को सुबह सुबह जब सीएम योगी अपनी टीम-11 के साथ कोरोना वायरस से निपटने के लिए बैठक में शामिल थे उसी दौरान उन्हें यह दुखद समाचार मिला। उनके पिता के स्वर्गवास की सुचना इसी मीटिंग के दौरान उन्हें दी गयी जिसके बाद वहां मौजूद हर कोई भावुक हो गया। सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट जो काफी समय से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के एम्स में भर्ती थे, लंबी बीमारी के बाद अस्पताल में ही उनका निधन हो गया।
सीएम योगी के पिता ने कि थी यह डिमांड
निश्चय ही यह सीएम योगी के लिए बहुत ही भावुक क्षण था और मनोस्थिति कुछ ऐसी कि कुछ भी व्यक्त कर पाना भी तक़रीबन नामुमकिन था। मगर इस कठिन परिस्थिति में उन्होंने खुद को सम्भाला और पुत्र धर्म की बजाय राजधर्म का निर्वाह करना ज्यादा जरूरी समझा। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने पद की गरिमा को बरकरार रखते हुए एक मिसाल कायम की और अपनी जिम्मेदारी से डिगे बिना पिता के अंतिम संस्कार कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय लिया।
सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने पूर्वाश्रम से जुड़े सभी सदस्यों से भी अपील की, कि वे लॉकडाउन का पालन करें और जहाँ तक संभव हो कम से कम लोग अंतिम संस्कार के कार्यक्रम में रहें। यह बहुत ही कठोर फैसला था। इस फैसले के बाद से ही हर अरफ योगी और उनके पिता की चर्चा शुरू हो गयी।
आज हम आपको सीएम योगी और उनके पिता से जुड़े एक वाकये के बारे में बताने जा रहे हैं जब उनके पिता ने अपने बेटे (योगी आदित्यनाथ) से संन्यास लेने के बाद एक मांग की थी। कहा आता है कि उनके बेटे ने उनकी मांग को एक ही बार में पूरी भी कर दी थी। इससे पता चलता है कि इस बेटे के ह्रदय में भी अपने पिता के लिए सम्मान और प्यार भरा था।
वन विभाग से रिटायर होने के बाद स्वर्गीय आनंद सिंह बिष्ट (सीएम योगी के पिता) उत्तराखंड स्थित अपने गाँव में ही रहते थे और यहाँ पर उनकी सामजिक कार्यों में काफी दिलचस्पी रहती थी। मगर उन्हें इस बात का काफी मलाल रहता था कि ना ही उनके गाँव तथा आस-पास तक लड़कियों की शिक्षा के लिए एक भी महाविद्यालय नहीं था। चूँकि यहाँ पर अच्छी शिक्षा व्यवस्था के चलते बच्चे काफी दूर से यहाँ आते थे मगर योगी आदित्यनाथ के पिता चाहते थे कि बच्चों को तकनिकी शिक्षा भी मिले और वह भी उनके खुद के ही गाँव में।
ऐसे में उन्होंने अपने गाँव में ही कॉलेज खुलवाने के लिए अपने बेटे से इच्छा जताई और पुत्र ने भी पिता की इच्छा का पूरा सम्मान करते हुए वर्ष 2005 अपने गाँव पंचूर में महायोगी गुरु गोरखनाथ डिग्री कोलेज की नीव रख दी और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी अपने पिता के हाथों में सौंप दी। अपने कर्तव्यों के बीच पिता के निधन की खबर ने निश्चित रूप से सीएम योगी आदित्यनाथ को झंकझोर दिया था मगर फिर भी वो अपने कर्तव्य से डिगे नहीं है और शायद यह एक पिता के लिए काफी बड़ा सम्मान भी हो सकता है।
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