देखें, संसद के वो साढ़े 7 मिनट जब सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी बोल रहे थें और विपक्ष भी सुनता रह गया
हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी अब हमारे बीच नहीं रहे| अटल जी ने दिल्ली के एम्स में अपनी आखिरी सांस ली| उन्हें किडनी ट्रैक्ट इंफेक्शन, यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, पेशाब आने में दिक्कत और सीने में जकड़न की शिकायत थी| जिसकी वजह से उन्हें 11 जून को एम्स दिल्ली में एडमिट कराया गया था| वाजपेयी अपनी दूरदृष्टि के लिए जाने जाते थे| उन्होंने अपने प्रधानमंत्री रहते हुये जब परमाणु परिक्षण कराया तो दुनिया ने उसे नकार दिया था लेकिन उनके उसी फैसले की वजह से भारत आज एक बड़ी परमाणु शक्ति बन कर उभरा हैं|
विपक्ष सुनता रहा साढ़े 7 मिनट तक
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1998 में परमाणु परीक्षण किया गया था| इसके बाद जब आर्थिक मोर्चे पर वाजपेयी सरकार को झटका लगा था तब अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमाकर 7.8 फीसदी से गिरकर 5 फीसदी पर आ गई थी| भारत पर दुनिया के ताकतवर देशों ने आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया था| लेकिन इसकी परवाह ना करते हुये अटल बिहारी वाजपेयी अपने फैसले पर अडिग रहे| अटल जी ने संसद में विपक्ष की आलोचना का करारा जवाब दिया| लगभग साढ़े 7 मिनट तक अटल बिहारी वाजपेयी ने भाषण दिया तो पूरा विपक्ष चुपचाप सुनता रह गया|
तैयारी आत्मरक्षा की
अटल जी ने संसद में बोलते हुए कहा कि परमाणु परिक्षण की आलोचना की गई और यह हमारे लिए बेहद दुख की बात है| उन्होने कहा की 1974 में जब मैं सदन में था और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में परमाणु परिक्षण किया गया तो उन्होंने भी उसका समर्थन किया था क्योंकि यह देश की रक्षा से जुड़ा मामला था| इसके अलावा उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा की तैयारी तब करनी चाहिए जब खतरा हो| क्या खतरा आने से पहले ही तैयारी कर लेना ठीक नहीं हो सकता हैं| इसके आगे उन्होंने कहा कि 50 साल का हमारा अनुभव क्या बताता है| क्या हमें रक्षा के मामले में आत्मनिर्भर नहीं होना चाहिए|
बहुत देर कर दी
अटल बिहारी वाजपेयी महंगाई के आंकड़ों के बीच न्यूक्लियर टेस्ट के अपने फैसले से पीछे नहीं हटे और दृढ़ बने रहे| न्यूक्लियर टेस्ट को लेकर संसद में उन्होने कहा की हमने बहुत देर कर दी, यह टेस्ट बहुत पहले हो जाना चाहिए था और हमें खुद को न्यूक्लियर पॉवर घोषित कर देना चाहिए था| आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि वाजपेयी ही वह शख्स थे जिनहोने कांग्रेस के 1991-1996 कार्यकाल में भी न्यूक्लियर टेस्ट कराने की भी कोशिश की थी| लेकिन, अमेरिकी दबाव के चलते ऐसा नहीं हो पाया था|
नहीं लांघी मर्यादा
भले ही अटल जी अपने विरोधियों पर तीखे प्रहार करते थे, लेकिन कभी भी वो अपने शब्दों की मर्यादा को नहीं लांघते थे, या यूं कह ले कि अटल जी के दौर में राजनीतिक शब्दों की मर्यादा बहुत सभ्य थी| एक बार सोनिया गांधी ने नेता प्रतिपक्ष होने के नाते अंग्रेजी के तल्ख शब्दों के साथ वाजपेयी सरकार पर हमला किया था| जिसके बाद अटल जी ने गुस्से में उनसे कहा था कि मतभेद को जाहिर करने के लिए ऐसे शब्द प्रयोग करना उचित नहीं हैं|