World Bank की प्रबंध निदेशक बनी काशी की अंशुला कान्त, विश्व बैंक अध्यक्ष ने की घोषणा
भारत में टैलेंट की कमी नहीं है इस बात का प्रमाण एक बार फिर से बनारस की बहू अंशुला ने दे कर अपने देश को गौरवान्वित किया है। इन दिनों अंशुला कांत World Bank की प्रबंध निदेशक के पद पर चुने जाने के चलते सुर्खियों में छायी हुई हैं। काशी की अंशुला कान्त ने यह सबित कर दिखाया कि एक महिला अगर चाहे तो वह क्या नहीं कर सकती है और आज के दौर में महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी कामयाबी के झंडे गाड़ रही हैं। समय की पबंद अंशुला कांत ने विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक बन सभी महिलाओं के सामने एक उदाहरण रखा है। विश्व बैंक ने अंशुला को बैंक का प्रबंध निदेशक एवं वित्त अधिकारी नियुक्त किया है।
अंशुला कान्त ने किया काशी का नाम रोशन
आपको बता दें कि विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मल्पास ने इस बात की घोषणा करते हुए कहा कि ‘प्रबंध निदेशक एवं सीएफओ के रूप में कान्त विश्व बैंक समूह में वित्तीय जोखिम प्रबंधन का दायित्व संभालेंगी, वह अध्यक्ष को रिपोर्ट करेंगी।’ विश्व बैंक में हुई इस नियुक्ति के लिए अंशुला कांत के पति संजय कांत बहुत खुश है और उन्होंने अपनी पत्नी के बारे में बताते हुए कहा कि ‘अंशुला शुरू से बहुत मेधावी थी। उनकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह जो काम शुरू करती हैं उसे पूरे किये बिना रूकती नहीं हैं। बच्चों की परवरिश में वह समय की बहुत पबंद रही हैं।’
अंशुला कांत इससे पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के प्रबंध निदेशक के पद पर थी। दरअसल विश्व बैंक के अध्यक्ष डेविड मल्पास ने कहा कि ‘अंशुला को वर्ल्ड बैंक ग्रुप का मैनेजिंग डायरेक्टर और सीएफओ नियुक्त करते हुए मुझे काफी खुशी हो रही है। वह अपने साथ फाइनैंशल, बैंकिंग का 35 वर्ष का अनुभव ला रही हैं।’ उत्तराखंड के रुड़की जिले की रहने वाली अंशुला कांत ने अपनी स्नातकोत्तर डिग्री दिल्ली स्कूल ऑफ एकोनाॅमिक्स से प्राप्त की थी।
काशी से भी रहा है लगाव
बनारसी साड़ी और संगीत की शौकीन अंशुला का 1983 में भारतीय स्टेट बैंक में चयन हुआ था। अंशुला कांत की शादी संजय कांत से हुई और वह शादी के बाद बनारस आ गयी। अंशुला के दो बच्चे हैं एक बेटा न्यूयार्क में और बेटी सिंगापुर में रहती है। शादी के बाद अंशुला का तबादला लखनऊ हो गया था जिसके चलते उन्होंने नौकरी छोडऩे का मन बना लिया था लेकिन परिवार वालों ने उन्हें नौकरी छोड़ने से मना कर उन्हें नौकरी करने के लिए प्रोत्साहित किया।
गौरतलब है कि 2005 में जब उन्हें सिंगापुर में स्टेट बैंक को स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गयी थी तो उन्होंने इस चुनौती को भी बखूबी पूरा किया था। अंशुला कांत ने अपनी कड़ी मेहनत और लगन से आज यह मुकाम हासिल किया है। इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने बहुत से कठिन पड़ाव भी पार किये और आगे बढ़ती गयी। अपनी नौकरी के साथ-साथ उन्होंने अपने परिवार की जिम्मेदारियां भी बहुत अच्छे से संभाली।