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अनोखा शिवलिंग जिसकी हिन्दू और मुस्लिम दोनों मिलकर करते है पूजा

अनोखा शिवलिंग जिसकी हिन्दू और मुस्लिम दोनों मिलकर करते है पूजा

भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृतियों में से एक है जहाँ पर हजारो धर्म के लोग  एक साथ मिलकर रहते है और भाईचारे का एक अदभुत उदाहरण देते है और अपने अपने धर्म को मानते है लेकिन भारत में एक जगह ऐसी भी है जहा हिन्दू धर्म और मुस्लिम धर्म दोनों  ही धर्म के लोग एक साथ मील जाते है और मिलकर पूजा पाठ करते है | हम बात  कर रहे है गोरखपुर के खजनी कस्बे के अनोखे शिवलिंग के बारे में वैसे तो  हमारे देश में ऐसे कई शिवालय हैं जहां हर रोज शिवपूजन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है लेकिन यह कुछ अनोखा ही शिवलिंग है क्योकि यहाँ हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही शिव जी की भक्ति करते है वो भी एक ही शिवालय में |

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अनोखा शिवलिंग जिसकी हिन्दू और मुस्लिम दोनों मिलकर करते है पूजा

भगवान शिव हिंदुओं के आराध्य देव कहलाते हैं लेकिन इस शिवलिंग को मुस्लिम समुदाय के लोग भी भगवान शिव की आराध्य मानकर पूजा करते हैं | यहां के लोगों की मान्यता है कि यह शिवलिंग कई सौ साल पुराना है और यह एक स्वयंभू शिवलिंग है| लोगों की माने तो इतना विशाल स्वयंभू शिवलिंग पूरे भारत में सिर्फ यहीं पर है|

भगवान शिव का यह शिवलिंग अनोखा इसलिए भी है क्योंकि इस पर कलमा यानि इस्लाम का एक पवित्र वाक्य खुदा हुआ है. कहा जाता है कि मुगल शासक महमूद गजनवी ने इस शिवलिंग पर उर्दू में लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र् रसूलुल्लाह लिखवा दिया. हिंदुओं के लिए जितना पवित्र शिवलिंग माना जाता है, उतना ही पवित्र हैं मुस्लिमों के लिए इस पर खुदा हुआ कलमा|यही वजह है कि हिंदू मुस्लिम के लोग बड़ी ही श्रद्धा से यहां भगवान शिव की पूजा करते हैं|

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लोगों की मानें तो महमूद गजनवी ने अपने आक्रमण के दौरान इस मंदिर को भी तोड़ने की कोशिश की थी, पर जब वह इसमें सफल नहीं हो सका, तो उसने इस शिवलिंग पर उर्दू में “लाइलाहाइल्लललाह मोहम्मदमदुर्र्” रसूलअल्लाह खुदवा दिया। ताकि हिंदु इस मंदिर में पूजा न कर सके। वाबजूद इसके आज भी सैकड़ों वर्षों बाद गजनवी की कोशिश बेकार साबित हो रही है। क्योंकि जिस मंदिर को गजनवी हिंदुओं की श्रद्धालायक नहीं छोड़ना चाहता था। वहीं, मंदिर इस क्षेत्र में सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बना हुआ हैं।

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सावन के महीने में इस मंदिर पर हजारों भक्त पूजा करने के लिये उमड़ते है तो वहीं रमजान के महिने में मुस्लिम समुदाय भी यहां आकर अल्लाह की इबादत में सिर झुकाते हैं| दोनों हिंदू मुस्लिम धर्मों में बराबर पूजे जानेवाले इस शिवलिंग को लेकर लोगों की धारणा है कि शिव के इस दरबार में जो भी भक्‍त आकर श्रद्धा से कामना करता है, भगवान शिव उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करते हैं|

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