अगहन माह का हुआ शुरूआत, इस एक मंत्र दिलाएगा पूरे माह का फल
कार्तिक महीने की समाप्ति के बाद यानी 12 नवंबर के बाद अब शुरुवात हुई है अगहन महीने की। इसे मार्गशीर्ष महीना भी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के मुताबिक ये साल का नौवां महीना है। अगर देखा जाय तो हिन्दू पंचांग में हर महीना बहुत ही ज्यादा खास है, हर महीने में त्योहारों की संख्या भी अधिक है पर अगहन महीना सब महीनों में थोड़ा ज्यादा खास है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार ये महीना सीधा सतयुग से संबंध रखता है। ऐसा माना जाता है कि सतयुग की शुरुवात अगहन महीने से ही हुई थी। इसके अलावा भी बहुत सी ऐसी बातें जो इस महीने को खास बनाती है। दरअसल श्रीमद्भागवतगीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि समस्त 12 महीनों में मार्गशीर्ष मैं खुद हूं। श्री कृष्ण ने इस महीने में पालन करने वाले नियमों के बारे में भी बताया है। तो आइए जानते हैं।
अगहन महीने का महत्व और कुछ खास बातें
हिन्दू धर्म में ऐसा उल्लेखित है कि कश्यप ऋषि ने मार्गशीर्ष महीने में ही कश्मीर की रचना की। कार्तिक महीने की तरह यह महीना भी भगवान भोले भंडारी को बहुत ज्यादा प्रिय है। इस दौरान अगर कोई व्यक्ति तप या जाप करता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी ऐसा माना गया है। इस महीने में ध्यान लगाना भी बहुत अधिक फलदायी माना गया है। अगर आप इस महीने में किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करते हैं तो आपकी हर ख्वाहिश पूरी हो सकती है। इस लिहाज से ये कहना गलत नहीं होगा कि अगर कोई शख्स बहुत लंबे दिनों से प्रयासरत है, अगर उसके काम पूरे नहीं हो रहे, उसकी ग्रह दशा ठीक नहीं चल रही तो वो इस महीने में भगवान को प्रसन्न कर सकता है।
वहीं अगर आप इस महीने में मांगलिक कार्य करते हैं रुओ वो भी आपके मंगल के द्वार खोलेगा। अगर आपको संतान की प्राप्ति नहीं हो रही तो आप भगवान श्री कृष्ण की पूजा इस महीने आरंभ करें आपके साथ अवश्य कुछ न कुछ शुभ होगा। साथ ही साथ चंद्रमा की पूजा भी करें इससे आपको अमृत्व मिलेगा। एक बात जो ध्यान में रखने वाली है वो ये की इस महीने में भूलकर भी जीरे का सेवन नहीं करें। मार्गशीर्ष महीने में शीत गिरना शुरू हो जाता है सो आप मोटे कपड़े पहनने की शुरुवात भी कर दें। इस महीने में तुलसी के पत्तों का भोग भी भगवान को जरूर लगाएं। ऐसा करना आपके लिए बेहतर साबित हो सकता है।