कुंभ 2019: कुंभ खत्म होते ही कहां गायब हो जाते हैं नागा साधु, जानिए क्या है नागाओं का रहस्य
आपने नागा साधुओं के बारे में जरूर सुना और देखा होगा क्योंकि ये कुम्भ और अर्धकुंभ मेले में नजर आते हैं लेकिन कुम्भ मेले की समाप्ती के बाद ये कहाँ चले जाते हैं, इसके बारे में किसी को पता नहीं होता हैं| ऐसे में आज हम आपको नागाओं के रहस्यमयी दुनिया के बारे में बताने वाले हैं| दरअसल नागा साधुओं की जिंदगी जीना हर किसी की बात नहीं होती क्योंकि ये बड़ी ही कठिन परिश्रम करते हैं और सभी सुखो का त्याग करके ही नागा साधू बनते हैं|
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नागा साधु अपने शरीर पर भभूत मलते हैं और महाकुंभ में निर्वस्त्र रहते है| इसके अलावा वो कुम्भ मेले में डमरू और ढपली बजाकर नाचते-गाते हैं लेकिन कुम्भ के खत्म होते ही ये वीरान जंगलों में रहने के लिए चले जाते हैं| इसके अलावा ये जंगलों में बने गुफाओं में निवास करते हैं और ये कभी एक गुफा में नहीं रहते बल्कि समय-समय पर गुफा बदलते रहते हैं| इसलिए इनके सही निवास स्थान के बारे में कोई नहीं बता सकता हैं|
नागा साधु अपना जीवन यापन भिक्षा मांगकर करते हैं और एक दिन में केवल एक समय भोजन ग्रहण करते हैं| इतना ही नहीं इन्हें सिर्फ सात ही घरों में भिक्षा मांगने की अनुमति होती हैं और यदि सातों घरों से भिक्षा नहीं मिलती हैं तो इन्हें भूखे सोना पड़ता हैं| बता दें कि उन्हें भिक्षा में भोजन चाहे जैसा मिले उन्हें ग्रहण करना पड़ता हैं|
नागा साधु कभी भी दिन में और ना ही सड़क से यात्रा करते हैं बल्कि वो रात के समय जंगलों के रास्ते यात्रा करते हैं| इसके अलावा बहुत सारे नागा साधू ऐसे होते हैं जो किसी वीरान जगह में जाकर तपस्या करते हैं| इतना ही नहीं ये नागा साधु जंगलों में घूम-घूम कर अपना जीवन बिताते हैं और अगले कुम्भ के आने का इंतजार करते हैं| दरअसल बहुत सारे नागा साधु वस्त्र धारण करते हैं तो बहुत सारे निर्वस्त्र रहना पसंद करते हैं| बता दें कि बहुत सारे नागा साधु झुंड में निकलते हैं तो बहुत सारे अकेले ही निकलते हैं|
नागा साधु कभी भी आरामदायक बिस्तर पर नहीं सोते हैं बल्कि वो जमीन में ही सोते है| बता दे कि नागा साधुओं के आखाडा का एक कोतवाल होता हैं और उसके ही सूचना पर सभी नागा साधु बड़े ही गुप्त तरीके से इकठ्ठा होते हैं| ज्यादातर नागा साधु हिमालय, काशी, गुजरात और उत्तराखंड में रहते हैं।