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रंगभरी/आमलकी एकादशी: शिवलिंग पर चढ़ा दे सिर्फ ये चीज, हर मनोकामना होगी पूरी

रंगभरी/आमलकी एकादशी: शिवलिंग पर चढ़ा दे सिर्फ ये चीज, हर मनोकामना होगी पूरी

वैसे तो हम सब जानते है कि एकादशी प्रत्येक महीने आती हैं और हर एकादशी काफी शुभ फल देने वाली होती हैं, लेकिन इनमें से कुछ एकादशी काफी ज्यादा महत्वपूर्ण होती हैं। हर एकादशी का अपना ही महत्व होता है और हर एकादशी के दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है, फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष पर आने वाली एकादशी को रंगभरी या आमलकी एकादशी भी कहते है।

क्यों कही जाती हैं रंगभरी एकादशी?

पुराणों के अनुसार काशी शिवजी को काफी प्रिय था, जब शिवजी अपने विवाह के बाद पहली बार माँ पार्वती के साथ काशी आये थे तो उनका और माँ पार्वती का काशी में गुलाल और अबीर के साथ स्वागत किया गया था। इसीलिए रंगभरी एकादशी के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा इसी दिन बाबा विश्वनाथ का श्रृंगार किया जाता है और इसी दिन से काशी में होली शुरू हो कर तीन दिन तक चलती है जबकि ब्रजमंडल में होली बसन्त पंचमी से ही शूरू हो जाती हैं

रंगभरी/आमलकी एकादशी: शिवलिंग पर चढ़ा दे सिर्फ ये चीज, हर मनोकामना होगी पूरी

आमलकी एकादशी क्यों कहते हैं?

फाल्गुन माह की शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन आँवला के वृक्ष की पूजा की जाती हैं और आँवले के वृक्ष की परिक्रमा भी लगाई जाती हैं। कहा जाता हैं कि भगवान विष्णु का जन्म आँवले के वृक्ष से ही हुआ था।

क्या करना चाहिए रंगभरी/आमलकी एकादशी के दिन

रंगभरी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-प्रक्रिया से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। सुबह शिवमंदिर जाइये और अपने साथ गुलाल, अबीर, जल का लोटा, चंदन और बेलपत्र लेकर जाइये।

मंदिर जाने के बाद सबसे पहले शिवलिंग पर चंदन लगाइए, उसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पण कीजिये, अब शिवलिंग पर जल चढ़ाइए और अंत में गुलाल और अबीर अर्पण कीजिये। इसके बाद आपके मन में कोई भी आर्थिक समस्या हो तो शिवलिंग के सामने उसे अपने मन मे कह दे और किसी को ना बताएं, इससे आपकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी।

इसके अलावा इस दिन आँवले की पूजा का भी विशेष महत्व है, कहा जाता है कि आमलकी एकादशी के दिन अगर संभव हो तो माँ अन्नपूर्णा की सोने की या चांदी की मूर्ति देखनी चाहिए लेकिन ऐसा संभव ना भी तो कोई परेशानी नहीं है।

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इस एकादशी पर अगर आस-पास आँवले का पेड़ हो तो उस पर जल अर्पण कीजिये और उसकी धूप, दीप और नैवेध से पूजा करनी चाहिए। आमलकी एकादशी पर आँवले के पेड़ की 27 बार परिक्रमा लगानी चाहिए लेकिन यह अगर संभव ना हो तो 9 बार परिक्रमा भी लगाई जा सकती है। एक बात का ध्यान रखें कि इस दिन आप थोड़ा सा आँवला जरूर खाये और इस दिन आँवले का दान करना काफी शुभ माना जाता है और इसको सौ गऊ दान के बराबर माना जाता हैं। इस दिन कनक धारा स्त्रोत्त का पाठ करने से दरिद्रता दूर होती हैं।

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