भारत की इन महिलाओं पर भी बननी चाहिए बायोपिक्स, आपकी क्या राय है ?
हमारे बॉलीवुड में आज के समय में बायोपिक्स ज्यादा पसंद की जा रही है । अगर एक औसत देखें तो भाग मिल्खा भाग, दंगल, सुल्तान, मैरी कॉम, एम. एस. धोनी- द अनटोल्ड स्टोरी, नीरजा, पान सिंह तोमर और अजहर जैसी सभी बायोपिक्स को भारतीय दर्शकों ने खूब पसंद किया है।आज हम आपको ऐसी ही दस भारतीय महिलाओं की कहानी बताने वाले है जो सच में बायोपिक की हकदार हैजिनके जीवनकथा से हमे एक प्रेरणा मिलती है जीवन की एक सही दिशा मिलती है।
तो आइये बताते है आपको उन दस महिलाओ के बारे में जो हमाँरे लिए एक प्रेरणास्त्रोत हैं।
अरुणिमा सिन्हा
उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर अंबेडकर नगर की अरुणिमा सिन्हा आज किसी परिचय की मोहताज नहीं। एक पैर नकली होने के बावजूद दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी-एवरेस्ट को फतह करने वाली विश्व की पहली महिला पर्वतारोही अरुणिमा 2011 में लखनऊ से दिल्ली आते वक्त लुटेरों ने अरुणिमा को रेलगाड़ी से नीचे फेंक दिया था। दूसरी पटरी पर आ रही रेलगाड़ी की चपेट में आने के कारण अरुणिमा का एक पैर कट गया था। अरुणिमा कहती हैं कि कटा पांव उनकी कमजोरी था लेकिन उन्होंने उसे अपनी ताकत बनाई। परिस्थितियों को जीतकर उस मुकाम पर पहुंची हैं, जहां उन्होंने खुद को नारी शक्ति के अद्वितीय उदाहरण के तौर पर पेश किया है।
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कल्पना चावला
कल्पना चावला’, यह नाम सुनते ही देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं। लेकिन 1 फरवरी 2003 को मिशन से लौटते वक्त अंतरिक्ष यान ‘कोलम्बिया’ के साथ हुए हादसे में अन्य छः क्रू मेंबर्स सहित उनकी भी मृत्यु हो गई।
किरण बेदी
किरण बेदी देश की प्रथम महिला आईपीएस अधिकारी हैं। किरण बेदी ने अपने करियर की शुरुआत लेक्चरर के रूप में की थी। वह साल 1970 में खालसा कॉलेज, अमृतसर में राजनीति शास्त्र की लेक्चरर थीं। किरण बेदी के जीवन पर एक फीचर फिल्म ‘यस मैडम सर’ बन चुकी लेडी सिंघम किरण बेदी ने एक बार 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की कार मरम्मत के लिए गैराज लाई गई थी और सड़क पर गलत साइड में खड़ी की गई थी। उसे क्रेन से उठवा दिया था|
लक्ष्मी सहगल
कैप्टन लक्ष्मी सहगल एक महान् स्वतंत्रता सेनानी और आज़ाद हिन्द फ़ौज की अधिकारी थीं और इनके पिता मद्रास उच्च न्यायालय के जाने माने वकील थे। उनकी माता अम्मू स्वामीनाथन एक समाजसेवी और केरल के एक जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी परिवार से थीं, जिन्होंने आजादी के आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था उनका कहना था कि देश की नारियां चूडिय़ां तो पहनती हैं लेकिन समय आने पर वह बन्दूक भी उठा सकती हैं और उनका निशाना पुरुषों की तुलना में कम नहीं होता।
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इरोम शर्मिला
इरोम शर्मिला जिन्होंने सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (आफस्पा) के ख़िलाफ़ 16 वर्ष तक भूख हड़ताल की थी. इरोम शर्मिला ने 1000 शब्दों में एक लंबी ‘बर्थ’ शीर्षक से एक कविता लिखी थी. यह कविता ‘आइरन इरोम टू जर्नी- व्हेयर द एबनार्मल इज नार्मल’ नामक एक किताब में छपी थी
सानिया मिर्जा
सानिया मिर्ज़ा भारत की एक टेनिस खिलाडी है, जिसने भारतीय टेनिस खिलाडी के रूप में अपना स्थान बनाये रखा है. अपने एक दशक से भी लम्बे करियर में सानिया ने खुद को हर मोड़ पर सफल साबित किया और देश की सबसे सफल महिला टेनिस खिलाडी बनी.
सावित्रीबाई
भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवयित्री थीं। उन्होंने अपने पति ज्योतिराव गोविंदराव फुले के साथ मिलकर स्त्रियों के अधिकारों एवं शिसे कार्य किए। सावित्रीबाई भारत के प्रथम कन्या विद्यालय में प्रथम महिला शिक्षिका थीं। उन्हें आधुनिक मराठी काव्य की अग्रदूत माना जाता है। 1852 में उन्होंने अछूत बालिकाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की।
शकुन्तला देवी
4 नवम्बर 1929 जन्मी शकुंतला देवी जिन्हें आम तौर पर “मानव कम्प्यूटर” के रूप में जाना जाता है, बचपन से ही अद्भुत प्रतिभा की धनी एवं मानसिक परिकलित्र (गणितज्ञ) थीं। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उनका नाम 1982 में ‘गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में भी शामिल किया गया।
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सिंधुताई सपकाल
सिंधुताई सपकाल की जिन्दगी एक ऐसे बच्चे के तौर पर शुरू हुई थी, जिसकी किसी को जरूरत नहीं थी. उसके बाद शादी हुई, पति मिला वो गालियां देने और मारने वाला. जब वो नौ महीने की गर्भवती थीं तो उसने उन्हें छोड़ दिया. जिस परिस्थिति में वो थीं कोई भी हिम्मत हार जाता लेकिन सिंधुताई हर मुसीबत के साथ और मजबूत होती गईं. आज वो 1400 बच्चों की मां हैं. सिंधुताई ने इन बच्चों को उस वक्त अपनाया जब वो खुद अपने लिए आसरा जुटाने के लिए प्रयास कर रही थीं|
मदर टेरेसा
मदर टेरेसा ऐसा नाम है जिसका स्मरण होते ही हमारा ह्रदय श्रद्धा से भर उठता है और चेहरे पर एक ख़ास आभा उमड़ जाती है। मदर टेरेसा एक ऐसी महान आत्मा थीं जिनका ह्रदय संसार के तमाम दीन-दरिद्र, बीमार, असहाय और गरीबों के लिए धड़कता था और इसी कारण उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन उनके सेवा और भलाई में लगा दिया। अगर इन लोगों पर भी बायोपिक्स बनाई जाए तो निश्चित से दर्शकों के बीच काफी पसंद की जाएगी।