कुंवारी कन्याओं के लिए सर्वश्रेष्ठ क्यों है सावन शिवरात्रि का व्रत?
सावन का महीना वैसे तो सभी व्यक्तियों के लिए बहुत ही शुभ फल देने वाला हैं और खासकर कुंवारी कन्याओं के लिए ये सावन का महीना विशेष फल देने वाला होता हैं, हर वर्ष सावन के महीने में शिवरात्रि शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर आती हैं जिस प्रकार फाल्गुन में आने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं उसी प्रकार सावन में आने वाली शिवरात्रि को सावन शिवरात्रि कहा जाता हैं।
शिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने और उनका रुद्राभिषेक करने से व्यक्ति के सभी कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं और जो भी भक्त सच्चे दिल से महादेव की आराधना करता हैं उसे भगवान मनवांछित फल देते हैं। जिन कन्याओं के विवाह में अवरोध उत्पन्न हो रहा हो या विवाह हेतु मनचाहा वर ना मिल रहा हो तो उन्हें शिवरात्रि का ये व्रत अवश्य करना चाहिए। आइये जानते हैं किस प्रकार शिवरात्रि का व्रत कुंवारी कन्याओं के लिए लाभदायक हो सकता हैं।
मनचाहा वर पाने के लिए कुंवारी कन्याओं को करना चाहिए ये व्रत
अगर किसी कन्या के विवाह में कोई रुकावट आ रही हो तो उसे सावन माह में आने वाली शिवरात्रि का व्रत अवश्य करना चाहिए, इस दिन ये व्रत करने से उन्हें भगवान भोलेनाथ की कृपा से उनका मनचाहा वर मिलता हैं। व्रत के साथ-साथ शिवजी और मां गौरी की पूजा करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए
हे गौरी शंकरार्धांगी यथा त्व शंकरप्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी कांतकान्ता सुदुर्लभाम।।
ॐ साम्ब सदा शिवाय नमः।
किस प्रकार करनी चाहिए शिवरात्रि पर पूजा?
हमारें शास्त्रों में बताया गया हैं कि व्यक्ति को शिवरात्रि के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यक्रिया और स्नान कर्म से मुक्त हो जाना चाहिए, उसके पश्चात व्यक्ति को साफ सुथरे वस्त्र धारण करने चाहिए और मंदिर में जा कर शिव शंकर की आराधना करनी चाहिए। वैसे तो इस समय पूरे देश में कोरोना संकट के चलते ज्यादातर मंदिर बंद हैं तो अगर संभव हो तो ही मंदिर जाए वरना आप अपने घर पर ही शिव पूजन कर सकते हैं। शिवजी के अभिषेक के लिए दूध, दही, केसर, इत्र, शहद, घी, चंदन और चीनी का इस्तेमाल करना चाहिए।
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शिवजी की पूजा करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए?
देवों के देव महादेव अपने भक्तों से बड़ी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल भी नहीं हैं कि भगवान शिव की पूजा करते समय हमे ध्यान नहीं देना, एक बात का हमेशा ख्याल रखें कि जब भी आप शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाए तो उस बेलपत्र में किसी तरह का छिद्र नहीं होना चाहिए। इसके अलावा शिवजी पर सदैव तीन पत्तों वाला ही बेल पत्र चढ़ाना चाहिए और बेलपत्र को हमेशा उल्टा ही शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए।