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इस बार दिनभर है राखी बांधने का शुभ मुहूर्त, जानें भद्रा काल का समय

Youthtrend Religion Desk वर्ष के हर महीने में कोई ना कोई हिंदू पर्व अवश्य आता हैं, अभी सावन का पावन महीना चल रहा हैं, इस सावन के महीने का एक महत्वपूर्ण त्यौहार रक्षाबंधन अभी कुछ ही दिनों में आने वाला हैं इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व सावन महीने के अंतिम सोमवार यानी 3 अगस्त को हैं।

रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का पर्व हैं इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं तो वहीं भाई अपनी बहन की सुरक्षा करने का वादा करते हैं, राखी के त्यौहार के साथ ही सावन के पवित्र महीने की भी समाप्ति हो जाती हैं। रक्षाबंधन पर राखी शुभ मुहूर्त देख कर ही बांधी जाती हैं आज हम आपकों बताने जा रहें हैं कि इस राखी पर क्या हैं शुभ मुहूर्त।

क्या रहेगा शुभ मुहूर्त राखी बांधने का और कब तक हैं भद्रा काल

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इस बार राखी सावन के आखिरी सोमवार 3 अगस्त को हैं, रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने का शुभ मुहूर्त वैसे तो पूरे दिन हैं हालांकि राखी के दिन भद्रा काल सुबह 09:29 तक रहेगा और उसके बाद बहनें अपने भाइयों को सुविधानुसार राखी बांध सकते हैं। ये राखी का त्यौहार स्नानदान पूर्णिमा व्रत के दिन हैं, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सोमवार के दिन रक्षाबंधन पड़ना काफी शुभ फल देने वाला हैं, राखी के दिन सुबह 7:29 तक उत्तराषाढ़ा नक्षत्र हैं जिसके बाद दिन में श्रवण नक्षत्र लग जाएगा।

इस बार रक्षाबंधन क्यों हैं विशेष फल देने वाला

ज्योतिशास्त्र के अनुसार इस बार का रक्षाबंधन ना केवल भाई-बहनों बल्कि देश के लिए भी विशेष फल देने वाला हैं, बताया जाता हैं कि भद्रा सूर्यदेव की पुत्री हैं और इस राखी पर भद्रा का काल सुबह 09:29 तक हैं। इस रक्षाबंधन पर सुबह के समय 9 बजे से लेकर सुबह 10:30 बजे तक शुभ लग्न, दोपहर 01:30 से लेकर दोपहर 03:00 बजे तक चर, दोपहर 3:00 बजे से लेकर शाम 04:30 तक लाभ, शाम 4:30 बजे से 6:00 बजे तक अमृत, शाम 6:00 बजे से लेकर शाम 07:30 तक चर का चौघड़िया रहेगा। ये राखी सोमवार को हैं इस वजह से परिवार में अन्न और धनधान्य के भी बहुत अच्छे अवसर हैं।

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क्यों मनाया जाता हैं रक्षाबंधन का त्यौहार?

रक्षाबंधन से जुड़ी बहुत सी कथाएं प्रचलित हैं एक कथा के अनुसार एक बार देवता और असुरों में 12 साल तक भीषण युद्ब चला पर देवताओं को जीत नहीं मिल पा रहीं थी तब बृहस्पति देव ने इंद्रदेव की पत्नी शची को श्रावण शुक्ल पुर्णिमा पर व्रत रखकर रक्षासूत्र बांधने के लिए कहा था और इसी रक्षासूत्र के बाद देवताओं को विजय प्राप्त हुईं। राखी से जुड़ी एक और कथा के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण शिशुपाल का वध कर रहे थे तो सुदर्शन चक्र से उनकी तर्जनी उंगली कट गई थी जिसके बाद द्रोपदी ने उनकी उंगली पर अपनी साड़ी फाड़कर पट्टी बांधी थी। वो दिन श्रावन पूर्णिमा का था और तभी से रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाने लगा।

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