Sardar Udham Singh: वो भारतीय क्रांतिकारी जिसने लंदन जाकर लिया था जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला
Sardar Udham Singh | 13 अप्रैल 1919 के दिन देश में एक ऐसा निर्मम हत्याकांड हुआ था जिसमें हजारों बेगुनाह लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, जी हां हम बात कर रहे है वैशाखी के दिन हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड के बारें में। भले ही उस निर्मम हत्याकांड के लिए अब बहुत से ब्रिटिश राजनेता माफी मांग चुके होंगे लेकिन ये एक ऐसा घाव है जो शायद ही कभी भर पाए।
वैसे तो जब देश में आजादी के लिए पहली क्रांति का बिगुल सन 1857 में फूंका गया था तब से ही देश के लोगों में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ रोष बढ़ने लगा था। हर कोई अपने-अपने तरीकों से ब्रिटिश साम्राज्य को देश से उखाड़ फेंकना चाहता था, देश की मिट्टी ने बहुत से वीर-सपूतों को जन्म दिया है उन्ही में से एक है सरदार उधम सिंह जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड को अंजाम देने वाले अंग्रेज अफसर जनरल डायर को उन्ही के देश में जाकर मारा था।
बहुत आहत थे जलियांवाला बाग हत्याकांड से
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सरदार उधम सिंह (Sardar Udham Singh) अपने माता-पिता और भाई की मृत्यु होने के बाद सामाजिक कार्यों में ही लीन रहने लगे थे, इसी वजह से 13 अप्रैल 1919 को वैसाखी के दिन जलियांवाला बाग में हुए मेले में लोगों को पानी पिलाने का काम कर रहे थे। अचानक से जलियांवाला बाग में बहुत से अंग्रेजी सैनिक अंग्रेज अफसर जनरल डायर के साथ पहुंच गए और उसके मुख्य दरवाजे पर मोर्चा संभाल लिया। उसके बाद उन्होंने वहां मौजूद लोगों पर अंधाधुंध गोलियां चलानी शूरू कर दी थी जिसकी वजह से वहां भगदड़ मच गई थी और बहुत से लोगों ने बचने के लिए वहां मौजूद कुएं में छलांग लगा दी।
दुर्भाग्यपूर्ण वहां लगभग 1000 से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी, उस समय वहां मौजूद उधम सिंह उस हत्याकांड में बच गए थे और उन्होंने तब से ही ये संकल्प ले लिया था कि वो जनरल डायर से एक दिन बदला जरूर लेंगे।
Sardar Udham Singh खा चुके थे बदला लेने की कसम
जलियांवाला बाग निर्मम हत्याकांड की वजह से उधम सिंह में अंग्रेजों के लिए रोष बढ़ने लगा था और वो इस बेरहमी से लोगों की हत्या करने वाले अंग्रेज अफसर को मारने की कसम खा चुके थे। इस वजह से वो देश में चल रही क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए थे, इसके अलावा उन्होंने गदर पार्टी जो उस समय देश में आजादी के लिए एक सक्रिय क्रांतिकारी संगठन था, से जुड़ गए थे। गदर पार्टी देश के युवाओं में देश भक्ति की भावना भी जाग्रत करने में लगा हुआ था।
अंग्रेजो की नजर में आ चुके थे उधम सिंह
ब्रिटिश सरकार से लगातार लड़ाई जारी रखने के लिए संगठन को रुपये-पैसों की आवश्यकता रहती थी जिसके लिए गदर पार्टी के सदस्य देश और विदेशों में जाकर पार्टी के लिए फंड एकत्रित करने में लगे रहते थे। इसके लिए बहुत बार अंग्रेजों के खजाने को भी लुटा गया और इस कार्य में उधम सिंह भी शामिल रहने लगे थे, जिसके बाद उधम सिंह अंग्रेजों की नजर में आने लगे थे। कई बार उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। एक समय अंग्रेजों की नजर से बचते हुए वो पंजाब से होते हुए कश्मीर पहुंच गए थे।
जब बनाई जनरल डायर को मारने की साजिश
कश्मीर जाकर उन्हें इस बात की जानकारी मिली के जनरल डायर लंदन में है इसलिए उससे बदला लेने के लिए वो योजना बनाने लगे और उसके बाद वो किसी तरह से लंदन जा पहुंचे। लंदन पहुंचने के बाद वो खुफिया तरीके से अपनी योजना को पूरा करने में लग चुके थे, हर जानकारी को बारीकी से एकत्रित करने के बाद उन्होंने वहीं पर एक बंदूक का भी प्रबंध कर लिया था।
इस तरह लिया उधम सिंह ने अपना बदला
जब उन्हें इस बात की जानकारी मिली कि डायर एक समारोह में भाग लेने हेतु केक्सटन हॉल में आने वाला है तो उधम सिंह पहले ही आम लोगों के बीच जाकर बैठ गए थे। कुछ समय बाद ही ईस्ट इंडिया कंपनी एसोसिएशन और रॉयल सेंट्रल एशियन सोसायटी की मीटिंग शुरू हो गई थी, उस मीटिंग में जनरल डायर भी मौजूद था।
उसी दौरान संबोधन के लिए जैसे ही जनरल डायर मंच पर आया तो वैसे ही उधम सिंह (Sardar Udham Singh) ने उस पर गोली चला दी जिसके बाद जनरल डायर की तुरंत ही मौके पर मौत हो गई। डायर को गोली मारने के बाद उधम सिंह वहां से भागने की बजाए खड़े रहे और उन्हें ब्रिटिश अफसरों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। 31 जुलाई 1940 को उन्हें फांसी दी गई और उस दिन देश का एक और जवान देश के लिए शहीद हो गया।