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गज़ब, 28 साल का यह युवक बिजनेस टाइकून Ratan Tata को देता है बिजनेस टिप्स

Ratan Tata | अगर किसी के मन में कुछ करने की चाह तो वो व्यक्ति क्या नहीं कर सकता और वैसे भी जब आप कुछ करने की ठान ले तो उम्र आपके आड़े नहीं आती, आज हम जिस युवक की बात बताने जा रहे है जो केवल 28 वर्ष की आयु में ही एक सफल बिज़नेसमैन बन चुके है और देश के दिग्गज उद्योगपतियों में शुमार करने वाले रतन टाटा भी उनके फैन है। हम बात कर रहें है शांतनु नायडू की जिन्होंने अपने दम पर इतनी कम उम्र में बिज़नेस इंडस्ट्री में एक नया मुकाम हासिल किया है, इस नव युवक ने अपने काम करने के तरीके और आईडिया की बदौलत टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन Ratan Tata को अपना मुरीद बना लिया है। आइये जानते है कि क्या बिज़नेस करते है शांतनु और क्यों देश के बड़े उद्योगपतियों में से एक रतन टाटा इनके आईडिया को पसंद करते है।

जब Ratan Tata को पसंद आया शांतनु का आईडिया

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दरअसल शांतनु के परिवार की चार पीढ़ियां वैसे तो रतन टाटा के लिए काम कर चुकी है लेकिन उनमें से किसी को भी रतन टाटा से मिलने का मौका नहीं मिला था, शांतनु के पिता ने अपने इस आईडिया के बारे में बताने के लिए उन्हें रतन टाटा को खत लिखने के लिए कहा था। उनके इस पत्र के जवाब में Ratan Tata की तरफ से उन्हें मिलने का निमंत्रण मिला, रतन टाटा से मुलाकात के दौरान शांतनु ने कुत्तों के लिए उनके दिमाग मे चल रहे प्रोजेक्ट के बारे में बताया तो रतन टाटा ने उनसे पूछा कि उन्हें अपने इस प्रोजेक्ट में कोई मदद चाहिए तो शांतनु ने उन्हें मना कर दिया था।

शांतनु के मना करने के बावजूद रतन टाटा ने जोर देकर उनके उस प्रोजेक्ट में निवेश किया जिसके बाद शांतनु की ये खोज मोटोपॉज देश के 11 अलग-अलग शहरों में पहुंच गई थी और अपने इस प्रोजेक्ट के लिए वो कई बार रतन टाटा से मिल चुके है। शांतनु ने अपनी MBA की पढ़ाई के दौरन निवेश, इंटरेस्टिंग बिज़नेस आईडिया, उधमिता और नए-नए स्टार्टअप्स के साथ क्रेडिबल स्टार्टअप की खोज को लेकर पढ़ाई की।

शांतनु करते है इस चीज का बिज़नेस

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शांतनु की कंपनी कुत्तों के लिए एक ऐसे कॉलर का निर्माण करती है जिनको कुत्तों के गले में बांधने के बाद वो अंधेरे में चमकने लगते है, कुत्तों के लिए बनाए गए इस कॉलर को मोटोपॉज कहा जाता है। इस तरह के कॉलर बनाने के पीछे कंपनी का उद्देश्य ये है कि रात के अंधेरे में कोई वाहन राह चलते कुत्तों को टक्कर मार कर ना चला जाए, शांतनु ने बताया कि उन्होंने खुद कई बार बहुत सी गाड़ियों के नीचे कुत्तों को कुचलते हुए देखा है।

अंधेरा होने की वजह से ड्राइवर को गाड़ी चलाते समय सड़क पर कुत्ते दिखाई नहीं देते है और बेजुबान जानवर बिना वजह मारा जाता है, शांतनु ने कहा कि इस तरह के हादसे देखने के बाद उनके दिमाग में रात के अंधेरे में चमकने वाली कॉलर बेल्ट बनाने का आइडिया आया। जब कुत्ते इस कॉलर बेल्ट को अपने गले में पहन कर रखते है तो ड्राइवर को अंधेरे में भी कुत्ते दूर से ही दिखने लगते है।

नए स्टार्टअप्स में विश्वास दिखाते है Ratan Tata

रतन टाटा वैसे तो 81 वर्ष के हो चुके है लेकिन उन्हें देश के स्टार्टअप इकोसिस्टम के ऊपर काफी यकीन है, स्टार्टअप शुरू करने के लिए वैसे तो निवेश कही से भी मिल सकता है लेकिन रतन टाटा के साथ काम करने से जो अनुभव मिलता है वो कही नहीं मिल सकता है इसलिए कहा जाता है कि जिन भी स्टार्टअप को रतन टाटा का साथ मिल जाता है उन स्टार्टअप की मार्केट वैल्यू अपने आप बढ़ जाती है।

शांतनु ने बताया कि एमबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें 2018 में रतन टाटा (Ratan Tata) से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था, उन्होंने बताया कि रतन टाटा से मिलने का मौका बड़ी किस्मत से मिलता है और उनसे मिलने के बाद उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला।