ना हेलेन जैसा फिगर ना ही मधुबाला जैसी आँखें फिर लाखों दिलों पर इस एक्ट्रेस ने किया राज
बात जब भी गुजरे जमाने की अभिनेत्रियों की होती है तो अक्सर ही इस तरह की बातें निकलकर सामने आती है कि ये सबसे हसीन अभिनेत्री थी, उसकी आँखें सबसे खूबसूरत थी, उस अभिनेत्री का फिगर बेहतरीन था, तो उसकी मुस्कान और न जाने क्या-क्या बातें, लेकिन उन सभी में एक अभिनेत्री ऐसी भी थीं जिन्हें उनके हुस्न, मुस्कान, आँखों या इस तरह की चीजों के लिए नहीं बल्कि उनकी एक्टिंग और बेमिसाल कॉमेडी के लिए जाना जाता था। जी हाँ, हम बात कर रहे है गुजरे ज़माने की एक्ट्रेस टुनटुन की, जिनके लाखों फैन्स थे। वैसे आपको बता दें कि टुनटुन की कहानी कुछ अलग ही रही है और ये उनका असली नाम भी नहीं था।
टुनटुन का असली नाम ‘उमा देवी’ था जो बॉलीवुड की फिल्मों में लोगों को अपनी एक्टिंग से हंसा हंसा कर लोटपोट कर देती थी, लेकिन शायद ही कोई इस बात से वाकिफ होगा कि टुनटुन ने सफलता के मुकाम को हासिल करने के लिए किस हद तक संघर्ष किया था। आइये जानते है बॉलीवुड की सबसे खुशमिजाज और हर किसी को हंसाने वाली मशहूर अभिनेत्री टुनटुन के बारे में।
एक्ट्रेस टुनटुन ने दूसरों के घरों में झाड़ू तक लगाई
हरियाणा में जन्मीं टुनटुन के माता-पिता दोनों का ही बेहद कम उम्र मे निधन हो गया था। यूपी में रहने वाले उनके एक चाचा ने उनका पालन-पोषण तो किया मगर उन्हें पढ़ाया-लिखाया नहीं। ऐसा करने के पीछे उनके एक अलग ही मानसिकता थी, उन्हें लगता था कि पढ़ाने से लड़की बिगड़ जाएगी। उस समय शिक्षा और महिला सशक्तिकरण का कोई खास दौर भी नहीं था।
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टुनटुन, बचपन से ही रेडियो और नूरजहां की बहुत ही दीवानी थी फिर एक दिन फिल्मों में गायिका बनने का सपना लिए वो घर से भाग गयी और जा पहुंची मायानगरी। इस शहर का नाम भी मायानगरी यूँ ही नहीं पड़ा है, खैर यहाँ आने के बाद उनकी किस्मत ने उन्हें गायिका उमा तो नहीं बनाया मगर उन्हें एक्ट्रेस टुनटुन के रूप में लोकप्रिय जरुर कर दिया।
हालाँकि मुंबई आते ही उनकी किस्मत नहीं चमक गयी थी, उनके काफी बुरे दिन भी देखने पड़े, यहाँ आने के बाद टुनटुन को अपना गुजारा चलाने के लिए लोगों के घरों में झाड़ू तक लगानी पड़ी थी। कुछ वक़्त बीतने के बाद टुनटुन मशहूर अभिनेता गोविंदा के पिता अरुण कुमार आहूजा से मिली। उन्होंने कई संगीतकारों से टुनटुन को मिलवाया। संगीतकार अल्लारखा ने उनसे एक गाना भी गवाया और इसके लिए 200 रुपए भी दिए मगर टुनटुन की ख्वाइश नौशाद के साथ गाने की ही थी।
कई उदास लोगों को हंसाया
इस बारे में ज्यादा कुछ बताने की आवश्यकता नहीं है कि टुनटुन बॉलीवुड की एक ऐसी एक्ट्रेस थीं जिनके चेहरे को देखने के बाद कई उदास चेहरों पर मुस्कान खिल जाती थी। रेडियो सुन सुनकर रियाज करने वालीं टुनटुन की जिंदगी में वो दिन भी आया जब मुंबई में मुलाकात नौशाद से हुई और उस दौरान वो उनके सामने वह जिद पर अड़ गई थीं कि अगर उनको गाने का मौका नहीं मिला तो वह उनके घर से कूद कर अपनी जान दे देंगी। इसके बाद उन्होंने हिंदी सिनेमा जगत का सुपरहिट गाना “अफसाना लिख रही हूं” को गया था।
टुनटुन की दिली ख्वाइश थी कि वो बड़े पर्दे पर बॉलीवुड के सुपरहिट एक्टर दिलीप कुमार के साथ नजर आयें। खैर उनके जीवन में उनकी ये ख्वाइश भी पूरी हुई जब साल 1950 में फिल्म ‘बाबुल’ में उन्होंने काम किया। इस फिल्म में अभिनेता दिलीप कुमार को टुनटुन के उपर गिरने का दृश्य फिल्माना था। बस तब से ही दिलीप कुमार ने उमा देवी का नाम टुनटुन रख दिया। आपको शायद इस बात की जानकारी ना हो मगर आज जान लीजिये कि टुनटुन भारत की पहली महिला कॉमेडियन भी बन गईं थीं। अपने 50 वर्ष के करियर में टुनटुन ने कई बड़े स्टार्स के साथ काम किया और 24 नवंबर, 2003 को उन्होंने दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया था।
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