श्रावण पुत्रदा एकादशी : क्यों रखा जाता हैं पुत्रदा एकादशी का व्रत, जानें व्रत विधि और इसका महत्व
Youthtrend Religion Desk : हिंदू धर्म में बहुत सी ऐसी तिथि हैं जो काफी महत्व रखती हैं जैसेकि अमावस्या, एकादशी और पूर्णमासी, इन दिनों में व्रत रखने का भी विधान हैं, वैसे तो हर महीने में दो बार एकादशी आती हैं लेकिन कुछ एकादशी ऐसी होती हैं जो वर्ष में एक बार आती हैं। ऐसी ही एक एकादशी हैं पुत्रदा एकादशी, ये एकादशी प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में आती हैं एकादशी में भगवान विष्णु की आराधना की जाती हैं, पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख और संतान संबंधी समस्या के निदान के लिया किया जाता हैं। आज के इस लेख में हम आपकों पुत्रदा एकादशी व्रत क्यों करा जाता हैं, क्या महत्व हैं और क्या विधि हैं।
पुत्रदा एकादशी का महत्व और पूजा का मुहूर्त
इस वर्ष पुत्रदा एकादशी 30 जुलाई को हैं, इस व्रत को खासकर दक्षिण भारत में मनाया जाता हैं, कहा जाता हैं कि इस व्रत को करने से व्रती को यज्ञ के बराबर पुण्य फल मिलता हैं, अगर कोई निःसंतान पति-पत्नी इस व्रत को पूर्ण श्रद्धा से करें तो उन्हें अवश्य संतान सुख की प्राप्ति होती हैं, शास्त्रों के अनुसार इस व्रत के दिन पुत्रदा एकादशी व्रत कथा पढ़ने या सुनने से स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं। पुत्रदा एकादशी का व्रत 30 जुलाई को हैं, पुत्रदा एकादशी तिथि की शुरुआत 30 जुलाई को सुबह 01:16 से शुरू होकर 30 जुलाई को ही रात 11:49 पर समाप्त होगी।
किस तरह करना चाहिए पुत्रदा एकादशी का व्रत
पुत्रदा एकादशी का व्रत दो तरह से किया जाता हैं एक जल के साथ और दूसरा निर्जला, इस व्रत को फलाहार भी कहा जाता हैं, जिन व्यक्तियों को ये व्रत करना होता हैं उन्हें इस व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से सादा आहार खा करनी चाहिए, इसके अलावा उन्हें ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए। व्रत के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को सुबह स्नान करने के बाद विष्णु भगवान की पूजा करने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए। पुत्रदा एकादशी के दिन शाम में भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करना चाहिए, इसके बाद किसी भूखे व्यक्ति को भोजन कराना चाहिए और उसके बाद अपना व्रत खोलना चाहिए।
किस तरह पूजा करना चाहिए पुत्रदा एकादशी पर
पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्य कर्म से मुक्त होकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करकें श्रीविष्णु की मूर्ति के सामने दीप प्रज्वलित करना चाहिए और भगवान विष्णु को फल का भोग लगाएं। ये हमेशा याद रखें कि भगवान विष्णु की पूजा में तुलसी का प्रयोग अवश्य करें और धूप-दीप के साथ आरती करे।