सूर्य ग्रहण के दौरान भूल से भी नहीं करने चाहिए ये काम, वरना हो जायेंगे बर्बाद
सूर्य ग्रहण एक तरह खगोलीय घटना है जिसमे चंद्रमा चक्कर काटते-काटते सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है, तब पृथ्वी पर सूर्य का कुछ भाग या पूर्ण रूप से छिप जाता है। ग्रहण एक तरह का प्रकृति चमत्कार है जो हर वर्ष घटित होता है। साल 2018 में कुल तीन सूर्य ग्रहण घटित होंगे. ये तीनों आंशिक सूर्य ग्रहण होंगे। इस वर्ष 16 फरवरी 2018 को साल का पहला सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। ज्योतिषों के अनुसार भगवान पर कष्ट माना जाता है ग्रहण जिसकी वजह से बहुत कुछ बर्बाद भी हो सकता है, लेकिन विज्ञान में यह एक खगोलिय घटना है, जिसमें पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा तीनों एक ही सीध में दिखते हैं, सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक और अंटार्कटिका के क्षेत्रों में दिखाई देंगे।
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हालाँकि यह ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा लेकिन आधी दुनिया में दिखाई देगा, यह ग्रहण प्रशांत और हिन्द महासागर दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया मोजांबिक, ज़िम्बाब्वे, मैडागास्कर, दक्षिणी अमेरिका, चिली, अर्जैंटीना ब्राजील और अंटार्टिका में दिखाई देगा। संयोग से गुरुवार को अमावस्या को सूर्य ग्रहण पड़ गया है इसलिए इसका बहुत बड़ा महत्व हो गया है। आपको बता दें की सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं, पूर्ण सूर्यग्रहण, आंशिक सूर्यग्रहण और वलय सूर्यग्रहण।
सूर्य ग्रहण काल की अवधि :
15 फरवरी रात को और 16 फरवरी की सुबह अमावस्या को खण्डग्रास सूर्य ग्रहण का समय
ग्रहण आरम्भ- 15 फरवरी गुरुवार मध्यरात्रि 12 :25 मिनट
परम ग्रास 16 फरवरी सुबह – 0 2 :24 मिनट
ग्रहण समाप्ति 16 फरवरी सुबह- 04 :17 मिनट
ग्रहण काल में क्या करें
सूर्य ग्रहण के दौरान किसी भी प्रकार के अकाल या बर्बाद होने जैसे स्थिति से बचने के लिए हम सभी को अपने इष्ट देव, मंत्र, गुरु मंत्र, गायत्री मंत्र आदि का जप दीपक जला कर करना चाहिए। सूर्य ग्रहण काल शुरू होने से समाप्ति के मध्य की अवधि में मंत्र ग्रहण, मंत्रदीक्षा, जप, उपासना, पाठ, हवन, मानसिक जाप, चिन्तन करना कल्याणकारी होता है। सूतक समय के बाद स्वयं भी स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, तथा देवमूर्तियोम को स्नान करा कर, गंगाजल छिडक कर, नवीन वस्त्र पहनाकर, देवों का श्रंगार करना चाहिए।