आज के दिन भूल से भी नहीं तोड़ना चाहिए तुलसी का पत्ता, वरना छा जाती है कंगाली
हमारे भारतीय संस्कृति में हर काम करने के लिए एक शुभ तिथि या समय तय किया गया है और यदि हम उस समय से हटकर किसी भी काम को करते हैं तो इससे आपको भरी नुक्सान चुकाना पड़ सकता है इसीलिए यदि हम कोई शुभ कार्य करने के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले इसके लिए सही समय का पता लगते हैं जिसे शुभ मुहूर्त कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार शुभ मुहूर्त में काल के अवयवों के रूप में तिथि, वार, नक्षत्र, योग एवं करण आदि को महत्व दिया जाता है। इनमें से वार सर्वाधिक सुगम एवं सरल अवयव है, इसलिए इसे हर व्यक्ति अपने उपयोग में अपनी तरह लेता है और उसी अनुसार कार्य करने लगता है। कुछ ऐसी ही बातें हमारे हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे से भी जुड़ी है जिसके बारे में आज हम आपको कुछ विशेष बताएँगे।
ठीक इसी तरह से हमारे ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार सप्ताह के सात दिनों में से कुछ दिनों को क्रूर एवं अशुभ माना जाता है और ये दिन हैं रवि, मंगल एवं शनि जिन्हें हिन्दू धर्म में अशुभ माना जाता है और कोई भी शुभ कार्य इन दिनों नहीं किया जाता है हालांकि शनिवार के दिन को स्थापना एवं निर्माणादि के कार्यों के लिए शुभ माना जाता है।
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हमारे भारतीय परम्परा के अनुसार किसी वृक्ष एवं पौधे को अपने उपयोग के लिए लगाना, काटना या उसके पत्ते लेना आदि इन सभी कार्यो को शुभ मुहूर्त में ही करने की लोक परम्परा आदि काल से थी और कहीं-कहीं ये परंपरा आज भी है। ठीक उसी प्रकार हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि रविवार के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए और न ही उसमे पानी डालना चाहि क्योंकि ऐसी मान्यता है कि तुलसी भगवान विष्णु को अत्याधिक प्रिय हैं तभी शालिग्राम रुपी भगवान विष्णु का विवाह तुलसी से करवाया जाता है और बृहस्पतिवार के दिन भगवान बृहस्पति को तुलसी की पत्ती चढ़ाई जाती है।