इस चीज को पी लेने के बाद डॉक्टर के पास कभी नहीं जाने की पड़ेगी जरूरत
आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में आप और हम किसी ना किसी बीमारी से ग्रस्त है। ऐसे में हर मर्ज का इलाज जरूरी है। लेकिन कभी कभी अंग्रेजी दवा काम नहीं करती ऐसे में देशी इलाज ही काम आता है। धरती पर ऐसे ना जाने कितने ही पेड़ पौधे है जिनकी सहायता से इलाज किया जा सकता है लेकिन जानकारी के अभाव में हम उनका लाभ नहीं ले पाते। ऐसा ही एक वृक्ष है जिसे अर्जुन वृक्ष के नाम से जाना जाता है। यह भारत में होने वाला एक औषधीय वृक्ष है, इसे घवल, ककुभ तथा नदीसर्ज के नाम से भी जाना जाता है।
कहुआ तथा सादड़ी नाम से बोलचाल की भाषा में प्रख्यात यह वृक्ष एक बड़ा सदाहरित पेड़ है। यह हिमालय की तराई, शुष्क पहाड़ी क्षेत्रों में नालों के किनारे तथा बिहार, मध्य प्रदेश में भी पाया जाता है। इसकी छाल का ही प्रयोग होता है होम्योपैथी में। अर्जुन एक प्रचलित ख्याति प्राप्त दवा है।
अर्जुन का छाल कर देगा शरीर में धमाल
हृदयरोग संबंधी सभी लक्षणों में विशेषकर क्रिया विकार जन्य तथा यांत्रिक गड़बड़ी के कारण उत्पन्न हुए विकारों में इसके तीन एक्स व तीसवीं पोटेन्सी में प्रयोग को होम्योपैथी में सफल दवा है। इसके सेवन से शरीर की कई बीमारियां दूर होती है। इतनी ही नहीं शरीर में जमा गंदगी को भी बाहर निकलने में मददगार है। अर्जुन बलकारक है तथा अपने लवण-खनिजों के कारण हृदय की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। दूध तथा गुड़, चीनी आदि के साथ इसके सेवन से हृदय रोग, जीर्ण ज्वर, रक्त-पित्त जैसी बीमीरियों को दूर रखता है।
इन बीमारियों में भी कारगर साबित
अगर आप आधा चम्मच अर्जुन की छाल, जरा-सी भुनी-पिसी हींग और स्वादानुसार नमक मिलाकर सुबह-शाम गर्म पानी के साथ फंकी लेते है तो उससे आपके पेट के दर्द, गुर्दे का दर्द और पेट की जलन खत्म हो जाती है। इतना ही नहीं हार्ट अटैक हो चुकने पर 40 मिलीलीटर अर्जुन की छाल का दूध के साथ बना काढ़ा सुबह तथा रात दोनों समय सेवन करने से दिल की तेज धड़कन, हृदय में पीड़ा, घबराहट जैसी समस्याओं का निवारण भी करता है। डायबिटिक लोगों के लिए भी यह काढा बहुत फायदेमंद है लेकिन डायबिटिक लोगों को इसमें मीठा नहीं डालना है।