वाराणसी : इस ठेले के जायके के आगे बड़े-बड़े रेस्टोरेन्ट के पकवान भी पड़ जाते हैं फीके
बनारस, काशी या फिर धार्मिक नगरी ये सभी नाम वाराणसी के हैं, असल में बनारस अपने घाट, गलियों व यहाँ रह रहे लोगों के अल्हड़ पन की वजह से जानी जाती हैं| यहाँ के लोगों के खाने का अंदाज, बोलने का अंदाज देश के बाहर से आए लोगों को खूब भाता हैं| दरअसल देश-विदेश से लोग इस प्राचीन नगरी को देखने के लिए आते हैं, इसे शिव की नगरी कहा जाता हैं| इतना ही नहीं लोग यहाँ मोक्ष की प्राप्ति हेतु भी आते हैं| दरअसल आज हम आपको वाराणसी के एक ऐसे ठेले वाले के पकवान के बारे में बताने जा रहे है जिसके पकवान के आगे बड़े-बड़े होटलो और रेस्टोरेन्ट के पकवान भी फीके पड़ जाते हैं|
वाराणसी स्थित यह ठेला है बेहद मशहूर
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह ठेला एक दशक पहले पाण्डेयपुर में लगता था लेकिन सुंदरीकरण के वजह से इस ठेले को अपना स्थान बदलना पड़ा| अब यह ठेला अर्दली बाजार स्थित कस्तूरबा बालिका इंटर कालेज के सामने लगता हैं| यह ठेला प्रतिदिन लगभग ढाई घंटा लगता हैं और इन ढाई घंटों के अंदर लोगों की भारी भीड़ इकठ्ठा हो जाती हैं| ऐसा कहा जाता हैं कि इस ठेले के पकवान के आगे बड़े-बड़े रेस्टोरेन्ट के पकवान भी फीके पड़ जाते हैं|
इस ठेले के पास इडली, मसाल डोसा खाने वालो को भारी भीड़ लगती हैं| बता दें कि इस ठेले का संचालन दीपक गुप्ता करते हैं और उन्होने बताया कि वो इडली और डोसा बनाने के लिए चने का दाल, उड़द की दाल, आलू, टमाटर, प्याज, मटर, मनीर, काजू, किशमिश आदि का इस्तेमाल करते हैं और यह लोगों को खूब पसंद आता हैं| लोग उनके यहाँ आकर बड़े ही चाव से इडली-डोसा खाते हैं और उनके इडली-डोसा की खूब तारीफ करते हैं, जिससे उनका मनोबल बढ़ता हैं|
दीपक के ठेले पर इडली और डोसा खाने वालों का कहना हैं कि यदि आपने यहाँ का इडली-डोसा खा लिया तो आपको बड़े-बड़े होटलो और रेस्टोरेन्ट के इडली-डोसे फीके नजर आएंगे इसलिए जब भी आप अर्दली बाजार आए तो दीपक के ठेले का इडली-डोसा जरूर खाएं| दीपक का कहना हैं कि वो इसे दिल से बनाते हैं और लोगों को बड़े ही प्यार से खिलाते हैं, जिसकी वजह से लोगों को उनके ठेले का इडली-डोसा पसंद आता हैं| वैसे बता दें कि वाराणसी की जलेबियाँ और कचौड़ियाँ खूब फेमस हैं और लोग इनकी खूब तारीफ भी करते हैं|