Chandrayaan 2: क्या है विक्रम लैंडर का चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त होने का सच? यहां जानें सबकुछ
भारतीय चन्द्र मिशन को शनिवार की सुबह बहुत बड़ा झटका तब लगा जब लैंडर विक्रम से चंद्रमा के सतह से महज दो किलोमीटर दूर था| दरअसल इसरो का लैंडर विक्रम से चंद्रमा के सतह से महज दो किलोमीटर पहले संपर्क टूट गया| बता दें कि इस मिशन को पूरा करने के लिए 978 करोड़ रुपये की लागत आयी थी, अब यह अंधेरे में झूलती नजर आ रही हैं| इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने इस बात की घोषणा की, घोषणा करते हुये के. सिवन ने कहा कि चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी पहले तक लैंडर का प्रदर्शन योजना के अनुरूप था| इसके आगे उन्होने कहा कि इसके बाद हमारा संपर्क टूट गया|
इसरो के एक आधिकारिक बयान के मुताबिक “यह मिशन कंट्रोल सेंटर है| विक्रम लैंडर योजना अनुरूप उतर रहा था और अपने गंतव्य से 2.1 किलोमीटर पहले तक उसका प्रदर्शन सामान्य था| लेकिन उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया| फिलहाल डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है|”
लैंडर विक्रम की लैंडिंग से जुड़ी कुछ खास बातें
(1) 7 सितंबर, शनिवार तड़के लगभग 1 बजकर 38 मिनट, जब 30 किलोमीटर की ऊंचाई से 1680 मीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से 1471 किलोग्राम का विक्रम चंद्रमा की सतह की ओर बढ़ना शुरू किया, तब सब कुछ ठीक था|
(2) इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क केंद्र के स्क्रीन पर देखा गया कि लैंडर विक्रम अपने निर्धारित पथ से थोड़ा हट गया और फिर उसके बाद संपर्क टूट गया|
(3) दरअसल लैंडर बड़े ही आराम से नीचे उतर रहा था और वहाँ मौजूद इसरो के अधिकारी नियमित अंतराल पर खुशी जाहिर कर रहे थे|
(4) लैंडर विक्रम ने सफलतापूर्वक अपना रफ ब्रेक्रिंग चरण को पूरा किया और यह अच्छी गति से सतह की ओर बढ़ रहा था|
(5) इसरो के एक वैज्ञानिक के मुताबिक लैंडर विक्रम का नियंत्रण उस समय समाप्त हो गया होगा, जब नीचे उतरते समय उसके थ्रस्टर्स को बंद किया गया होगा और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया होगा, जिसके कारण हमारा संपर्क उससे टूट गया|
(6) ऐसा कहा जा रहा हैं कि 978 करोड़ रुपये का यह चन्द्र मिशन पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ बल्कि मिशन का सिर्फ पाँच प्रतिशत लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर का ही नुकसान हुआ है, जबकि बाकी 95 प्रतिशत चंद्रयान-2 ऑर्बिटर, अभी भी चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है|”
(7) एक साल अवधि वाला यह मिशन चंद्रमा की बहुत सारी तस्वीरे भेज सकता हैं| इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि ऑर्बिटर लैंडर की तस्वीरें भी लेकर भेज सकता है, जिससे उसकी स्थिति के बारे में पता लगाया जा सकता हैं|
(8) बता दें कि चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान में तीन खंड हैं, ऑर्बिटर 2379 किलोग्राम, आठ पेलोड, विक्रम 1471 किलोग्राम, चार पेलोट और प्रज्ञान 27 किलोग्राम, दो पेलोड का है| बता दें कि विक्रम दो सितंबर को आर्बिटर से अलग हो गया था|
(9) आपकी जानकारी के लिए बता दें कि चंद्रयान-2 को इसके पहले 22 जुलाई को भारत के हाइवि रॉकेट जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हिकल-मार्क 3 जीएसएलवी एमके 3 के जरिए अंतरिक्ष में लॉन्च किया गया था|
(10) लैंडर विक्रम से चंद्रमा के सतह से महज दो किलोमीटर पहले संपर्क टूटने से इसरो के सभी वैज्ञानिक उदास हो गए, ऐसे में पीएम मोदी ने कहा कि आप सब लोग साहसी बने और अभी तक आप लोगों ने जो भी हासिल किया हैं वो कोई छोटी उपलब्धि नहीं हैं|
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